जिला पंचायत की कुर्सी पाचवी बार हुई आरक्षित - Yugandhar Times

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Wednesday, February 17, 2021

जिला पंचायत की कुर्सी पाचवी बार हुई आरक्षित

🔴 सामान्य वर्ग के दिग्गजो के सपना बना मुंगेरलाल के हसीन सपने

🔴 संजय चाणक्य 

कुशीनगर । जनपद के जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने ढाई दशको के  संक्षिप्त कार्यकाल में लगातार पांचवीं बार आरक्षित होने के वजह से इस बार भी सामान्य वर्ग के लोगो को निराशा हाथ लगी है। आरक्षण के वर्तमान नियम को देखते हुए इस बार अनारक्षित होने का सपना संजोए बैठे तमाम  दिग्गजों सपना मुगेरी लाल के हसीन सपना बनकर रह गया है। कहना न होगा कि दो बार यह सीट अनारक्षित महिला व एक बार पिछड़ी जाति पुरुष के लिए भी आरक्षित रह चुकी है। पिछली बार यह सीट अनुसूचित जाति के पुरुष के लिए आरक्षित थी और इस बार पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित हो गई है। खास बात यह है कि बिना आरक्षण के भी इस महत्वपूर्ण पद पर पिछड़ी जाति की महिला को मौका मिला चुका है।

काबिलेगोर है कि वर्ष-1994 में देवरिया से अलग होकर कुशीनगर जिले का सृजन हुआ था। उसके बाद पहली दफा यहा के बाशिंदों को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने का मौका वर्ष-1995 मे मिला। इस पंचायत चुनाव में अध्यक्ष का पद पिछड़ी जाति के पुरुष के लिए आरक्षित थी, जिस पर पहले जाकिर हुसैन और बाद में जगदीश सिंह को अध्यक्ष बनने का अवसर मिला। इसी क्रम वर्ष-2000 के पंचायत चुनाव में यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई थी जिस पर बैरिस्टर जायसवाल की पत्नी गंगोत्री जायसवाल और सुभाष त्रिपाठी की पत्नी निर्मला त्रिपाठी के बीच कांटे का मुकाबला हुआ। नतीजतन दो बार चुनाव परिणाम बराबर होने के बाद तीसरी बार में निर्मला त्रिपाठी को अध्यक्ष बनने का अवसर मिला। इसी तरह वर्ष-2005 में यह सीट पिछड़ी जाति के पुरुष के लिए आरक्षित हुई और प्रदीप जायसवाल अध्यक्ष बने। वर्ष-2010 में अध्यक्ष पद फिर सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ और इस बार प्रदीप जायसवाल की पत्नी सावित्री देवी जायसवाल अध्यक्ष चुनीं गईं। वर्ष-2015 में यह सीट अनुसूचित जाति पुरुष के लिए आरक्षित हुई। इस बार पूर्व विधायक पूर्णमासी देहाती के पुत्र हरीश राणा ने कुर्सी पर कब्जा जमाया, लेकिन बीच मे ही अविश्वास प्रस्ताव आ जाने के कारण हरीश राणा को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही अध्यक्ष पद के कुर्सी से हाथ धोना पडा और उनके जगह पर प्रदीप जायसवाल की मदद से विनय प्रकाश गौड़ को अध्यक्ष बनने का मौका मिला। अब फिर से यह सीट पिछड़ी जाति महिला के लिए आरक्षित हो गई है। खास बात यह है कि वर्ष-2010 में ही इस सीट पर पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाली सावित्री देवी जायसवाल को अध्यक्ष बनने का मौका मिल चुका है। 

🔴 ग्राम प्रधानों के आरक्षण के लिए भी तय हुई सीटें

 पंचायत चुनाव के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और सीटों की संख्या निर्धारित हो चुकी है। डीपीआरओ लखनऊ से प्रशिक्षण लेकर लौटने के बाद ब्लाकवार आरक्षण शुरू कराएंगे। चर्चा है कि मार्च के प्रथम सप्ताह में आरक्षित सीटों का विवरण प्रकाशित होगा। यहा बताना जरूरी है कि जिले में इस बार 1003 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद का चुनाव होना है। शासन की तरफ से जारी गाइड लाइन के अनुसार आरक्षित होने वाली सीटों की संख्या तय हो गई है और इसका प्रस्ताव भी शासन को भेजा जा चुका है। अब इनका ब्लाकवार वर्गीकरण करने के पश्चात ग्राम पंचायतवार आरक्षण शुरू होगा। डीपीआरओ कार्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार ग्राम प्रधान के 1003 सीटों में से 339 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी जबकि 664 सीटों पर पुुरूषों की दावेदारी रहेगी। कुल 39 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगी। इसके अलावा 158 सीटें अनुसूचित जाति के खाते में आएंगी जबकि पिछड़ी जातियों के लिए 277 सीटें आरक्षित रहेंगी।


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