कुशीनगर। जिन्दगी मे अगर लक्ष्य बडा हो तो संघर्ष भी बडा करना पडता है। शायद यही सोचकर मान्या अपनी गरीबी, लाचारी और बेबसी को ठोकर पर रखकर अपने बुलंद हौसले के दम पर कडी मेहनत के बदौलत फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता मे रनर-अप होने का गौरव हासिल कर यह साबित कर दिया कि " मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपने मे जान होती है पंख से कुछ नही होता, हौसले से उडान होती है।" मान्या जिसे कल तक कोई नही जानता था, जिसकी अकाल्पनिक प्रतिभा का किसी ने अनुमान तक नही लगाया था, जिसकी पहचान घर के आंगन की चहारदीवारी तक थी आज उसकी अद्भूत प्रतिभा को जनपद व प्रदेश ही नही वरन पुरा देश सैल्यूट कर रहा है।
जनपद के हाटा नगर पालिका क्षेत्र के गांधीनगर मुहल्ले के निवासी ओमप्रकाश सिंह एक मामूली आटो रिक्शा चालक है। अपने परिवार के जीविकोपार्जन दिन-रात हाडतोड मेहनत करते है। ओमप्रकाश सपने मे भी कभी नही सोचे थे कि उनकी हाडतोड मेहनत बेटी मान्या के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उनका नाम राष्ट्रीय फलक पर पहुंच देगा। यकीनन यह सब कुछ संभव हुआ है पिता ओमप्रकाश द्वारा अपनी बेटी को दी गयी बेहतर तालीम और बेटी मान्या की कडी मेहनत और संघर्ष के बल पर। आटो रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालने वाले ओमप्रकाश मूलरूप से पडोसी जनपद देवरिया के विक्रम बिशुनपुर के निवासी है जो वर्षो से कुशीनगर जनपद के हाटा नगर के गांधीनगर वार्ड मे अपने पूरे परिवार के साथ रहते है। एक दशक पूर्व वह हाटा स्थित अपने मकान को किराए पर देकर परिवार के साथ मुम्बई चले गये। यहा बेटी मान्या ने सौंदर्य प्रतियोगिता मे हिस्सा लेने के लिए तैयारी शुरू कर दी। नतीजतन अपने मेहनत के दम पर मान्या दिसम्बर 2020 मे अपने पहले प्रयास मे मिस उ0प्र0 चुनी गयी। उसके बाद मान्या सिंह 10 फरवरी को मुम्बई मे आयोजित फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता 2020 का फर्स्ट रनरअप का खिताब हासिल कर न सिर्फ राष्ट्रीय फलक पर अपना नाम दर्ज करायी है बल्कि पूरे पूर्वाचंल को गौरवान्वित भी किया है। फेमिना मिस इंडिया की टॉप 5 की रेस में ख़ुशी मिश्रा, रति हुल्जी, मनिका शेओकांड, मान्या सिंह और मानसा वाराणसी पहुंची थी। इसके बाद मानसा वाराणसी मान्या सिंह और मनिका शेओकांड टॉप में पहुंची, जिसमे मान्या फर्स्ट रनर-अप की खिताब अपने नाम दर्ज करायी। मान्या बचपन से ही जुझारू और पढाई मे अव्वल रही यही वजह है कि 12 वी कक्षा मे उसे बेस्ट स्टूडेंट्स का सम्मान से नवाजा गया था।
मान्या के लिए फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता मे रनर-अप बनना एक सपना जैसा लग रहा है। मान्या अपने स्ट्रगल की कहानी का एक पोस्ट शेयर किया है। मिस इंडिया तक पहुंचने के लिए उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पडा। उन्होंने बताया कि उनके जीवन में कई रातें ऐसी भी आई जब उन्हें बिना खाना खाए ही सोना पडा। इंस्टाग्राम पर अपने परिवार की तस्वीरों के शेयर करते हुए मान्या ने लिखा, 'मैंने भोजन और नींद के बिना कई रातें बिताई हैं. मैं कई दोपहर मीलों पैदल चली। मेरा खून, पसीना और आंसू मेरी आत्मा के लिए खाना बने और मैंने सपने देखने की हिम्मत जुटाई. रिक्शा चालक की बेटी होने के नाते, मुझे किशोरावस्था में काम करना शुरू करना था। मैंने किसी तरह से अपनी पढ़ाई पूरी की। वह बताती है कि दिन में डिशवॉशर की जॉब करती थी और रात में कॉल सेंटर में काम किया करती थी। मुझे डिग्री हासिल करवाने के लिए मेरी मां ने अपने गहनों को गिरवी रख दिया ताकि मैं अपनी फीस भर सकूं. उन्होंने कहा मेरी मां ने मेरे लिए बहुत तकलीफ झेला है।
कहना न होगा कि मिस इंडिया के प्रतियोगिता मे हिस्सा लेने के लिए सबसे पहले अपने राज्य का मिस क्वीन होना जरूरी होता है। जानकार बताते है कि मिस वर्ल्ड बनने के लिए सबसे पहले फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेना होगा। इसको जीतने वाला ही मिस इंडिया प्रतियोगिता मे प्रतिभाग कर सकता है। मिस इंडिया बनने के बाद ही मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत की ओर से भाग लेने का अवसर मिलता है।
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