कुशीनगर । उन्होंने अपने बुढापे की लाठी को बचपन मे अंगुली पकडकर चलना सिखाया था। सोचा था बेटा बडा होकर घर की सारी जिम्मेदारियों को संभालेगा। लेकिन इस बुजुर्ग पिता को क्या पता था कि बचपन मे जिस बेटे को वह कन्धे पर बैठाकर खेत खलिहान घुमाया करते थे उस बेटे का जनाजा उन्हे अपने बुढे कंधे पर उठाना पडेगा। लड़खड़ाते कदमों से बुढे पिता ने जब अपने बेटे और बहू को मुखाग्नि दी तो मानो आसमां का कजेला फट गया और पुरा गांव मातम मे डूब गया। यकीनन, इसे कुदरत की बेरहमी नही तो फिर क्या कहेगे?
बेशक ! शनिवार को एक बुजुर्ग पिता के सारे सपने खाक मे मिल गया, उनकी दुनिया उजड़ गयी। हुआ यह कि जनपद के हाटा कोतवाली क्षेत्र के लक्ष्मीपुर गांव निवासी बालिकरन के 30 वर्षीय पुत्र सुदर्शन प्रसाद अपनी 27 वर्षीय पत्नी चिंता देवी चार वर्षीय पुत्र सुमित व साली शशिकला को लेकर ससुराल महराजगंज जिले के पनियरा थाना क्षेत्र के गोनहा गांव निवासी भाने प्रसाद के वहां जा रहे थे। वह अभी पिपराइच थाना क्षेत्र के बड़े गांव फरेना नाला पुल पर पहुंचे ही थे कि ट्रक से उनके बाइक की भिड़ंत हो गई। हादसे में सुदर्शन प्रसाद व उनकी पत्नी चिंता देवी की मौके पर ही मौत हो गई। जिसके बाद ट्रक लेकर भाग रहे चालक को ग्रामीणों ने दौडाकर कर पकड़ा। ग्रामीणो की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने सुदर्शन की जेब से मिले मोबाइल नंबर से कॉल कर घरवालों को हादसे की सूचना दी। कुछ देर बाद परिजन घटनास्थल पर पहुंच गए। बेटे बहू का शव देखते ही बुजुर्ग पिता का मानो दुनिया ही उजड़ गई, वह बदहवास होकर टकटकी लगाए खून से लतपथ अपने बुढापे की लाठी और बहू को निहारते रहे। वह कभी अपना सीना पीटकर दहाड़े मार रहे थे तो कभी अपना सर जमीन पर पटक ऊपरवाले को कोस रहे थे। बिलखते हुए उस बुढे बाप ने एक बार सर उठाकर आसमान की ओर अपनी डबडबाई आंखों से निहारा और कपकपाते होठो से बुदबुदाया मानो वह सर्वशक्तिमान उस बिधाता से शिकायत कर रहे हो , कहाकि भगवान ने यह कैसा दिन दिखा दिया, मेरा तो पूरा संसार ही उजड़ गया। परिजनों की चीख-पुकार सुनकर वहां मौजूद हर कोई फफक पड़ा। परिवार का हर शक्स बदहवास था तभी ग्रामीणों ने घायलों को हास्पिटल पहुचाने की बात कही। उसके बाद घायल शशिकला और सुमित को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।इधर पिपराइच पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया। पोस्टमार्टम के बाद दुसरे दिन बुढे पिता बालिकरन ने अपने बेटे और बहू की चिता को बरगदही स्थित बैकुंठ धाम पर मुखाग्नि देकर दाह-संस्कार किया। लेकिन ऊपर वाले से उनकी शिकायत उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही कि " हे भगवान यह किस जन्म का सजा मिला है।"
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