संघवाद की प्रासंगिकता - Yugandhar Times

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Wednesday, January 20, 2021

संघवाद की प्रासंगिकता

🔴 डा0 सुधाकर कुमार मिश्र 

भारत के "संघवाद "के विषय में डॉक्टर  बी .आर  आंबेडकर ने कहा था कि "भारतीय संविधान समय और परिस्थितियों के अनुसार एकात्मक और संघात्मक दोनों हो सकता है "।  डॉ आंबेडकर के कथन की प्रासंगिकता वर्तमान राजनीतिक एवं संवैधानिक परिवेश में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। राजनीतिक विचारकों के अनुसार संघीय व्यवस्था के लिए इन तत्वों का होना आवश्यक है। पहला-दोहरी सरकार अर्थात संघीय सरकार और राज्य सरकारों का सुसंगत सह अस्तित्व। दुसरा-केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार के बीच शक्तियों का विभाजन। तीसरा- लिखित एवं कठोर संविधान। और चौथा- स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद संघीय स्तर ,राज्य स्तर एवं विशेष परिस्थितियों में स्थानीय स्तर पर परस्पर सह -अस्तित्व  के गुण -धर्म का पालन किया गया है ।

राज्य स्तरो पर मुख्यमंत्रियों को दबाव विहीन एवं विवेक सम्मत शासन कर रहे हैं । संघीय सरकार द्वारा राज्य सरकारों को गरिमामय एवं संवैधानिक सीमाओं के साथ काम की स्वतंत्रता को बनाया रखा गया है । केंद्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों का भारत की भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता को संतुलित एवं उन्नयन करने में सहयोगी भूमिका रही है। राजनीतिक शक्तियों के वास्तविक वितरण में केंद्रीय सरकार का उपादेयता प्रशंसनीय रहा है ।गठबंधन सरकारों का उदय ,आर्थिक उदारवाद ,क्षेत्रीय दलों का संघीयएवं राज्य सरकारों में भूमिका ,राजनीतिक प्रशासनिक एवं आर्थिक केंद्रीकरण के साथ राजनीतिक संघवाद की अनुकूलता सराहनीय रहा है। शक्तियों के विभाजन का व्यावहारिक अर्थ है कि राज्य सरकारें अपने लिए कुछ विशिष्ट मांगों का मोल भाव कर सकती है। अपनी नीतियों पर सकारात्मक सहमति एवं दबाव की राजनीति कर सकते हैं ।वर्तमान परिदृश्य में उत्तर प्रदेश ,बिहार, मध्य प्रदेश ,हिमाचल प्रदेश एवं गुजरात के सरकारों ने संघवाद को मजबूती प्रदान करने में सहयोगी भूमिका को अदा किया है। संघवाद के मजबूती के लिए क्षेत्रीय दलों का राजनीतिक सहयोग एवं संसदीय चरित्र सराहनीय है ।किसान आंदोलन के परिदृश्य में संघवाद की प्रासंगिकता सराहनीय है ।राजनीतिक और संस्थागत संस्कृति में संघवाद सफल है ;क्योंकि राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर संघात्मक चरित्र को बनाए रखने में नेतृत्व ने सराहनीय एवं सहयोगी प्रयास किया है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में विधायिका एवं न्यायपालिका का संतुलन भी सराहनीय है । दोनों संस्थाएं परस्पर टकराहट के बजाय एक-दूसरे का सम्मान एवं सहयोग कर रही है। लोकतांत्रिक शासन की सफलता एवं प्रदर्शन सरकार के अंगो का अपने विशेषीकृत क्षेत्र में काम पर निर्भर करता है।

4 comments:

  1. वास्तव में यह बिल्कुल सत्य है नमो के शासन में संघीय स्तर व राज्य स्तर पर संगच्छध्वम का पालन किया जा रहा है।

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  2. सटीक लेख है वर्तमान में संघ की भूमिका बेहद सराहनीय है हमे संघ से बहुत उम्मीदें है ।

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