🔴 डा0 सुधाकर मिश्र
जम्मू -कश्मीर में पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद ,देश के बड़े हिस्से में नक्सलवाद आदि समस्याओं से आंतरिक सुरक्षा को प्रबल चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पूर्वोत्तर भारत में 'क्षेत्रीय समस्याएं 'हैं ,जो समय समय पर हिंसा को जन्म देती है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन एवं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल एवं करिश्माई नेतृत्व में भारत सरकार की सेना ने संपूर्ण मुस्तैदी और पुलिस सक्रियता, खुफिया सक्रियता एवं जम्मू -कश्मीर को केंद्र शासित राज्यों में विलय के उपरांत एवं सेना द्वारा 'आतंकवादी ऑपरेशन 'के द्वारा खूंखार आतंकवादियों का सफाया किया गया है ।जम्मू कश्मीर के 31 अक्टूबर ,2019 के बाद केंद्र शासित प्रदेश होने के बाद आतंकवाद पर बहुत मात्रा तक नियंत्रण किया जा चुका है। 2016 के बाद किसी बड़ी दुर्घटना, आतंकवादी घटना नही घटी हैं। 2006 में भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए माओवादियों को सबसे बड़ी चुनौती माना था ।वर्तमान में कुछ राज्यों में इनकी सीमित गतिविधियों को छोड़कर अन्य स्थानों पर प्रभाव दिखाई नहीं पड़ता है ।इसका प्रमुख कारण प्रशासन द्वारा इनको दिया गया सामाजिक -आर्थिक प्रोत्साहन और अतिरिक्त संसाधनों के साथ स्थानीय पुलिस की मुस्तैदी रही है। संपूर्ण भारत में' वामपंथी आंदोलन 'का प्रभाव कम होता दिखाई पड़ रहा है ।इसकी विचारधारा के प्रति लोगों का आकर्षण एवं जुड़ाव बहुत कम हो रहा है। इसके आकर्षण कम होने का प्रबल कारण केंद्र सरकार की प्रमुख नीतियां है। पूर्वोत्तर भारत में आतंकवादी गतिविधियां न्यूनतम स्तर पर है ।असम ,अरुणाचल प्रदेश एवं नागालैंड में भी हिंसक घटनाओं में कमी आई है ।भारत सरकार ने इनक्षेत्रों के अतिवादी संगठनों के साथ बातचीत करके स्थिति को नियंत्रित एवं काबू में किया है ।भारत सरकार ने इन क्षेत्रों को दक्षिण- एशिया से संपर्क द्वार के रूप में विकसित किया है। "पश्चिम की ओर देखो नीति "के कारण इस क्षेत्र में विकास कार्यों को गतिशीलता प्रदान किया जा रहा है ।भारत -आसियान मुक्त व्यापार समझौता और इन देशों के साथ होने वाले अनेक द्विपक्षीय व्यापार समझौते का दारोमदार पूर्वोत्तर क्षेत्र है। इसलिए इनक्षेत्रों की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है। सुरक्षा ,संरक्षा एवंविकास प्रशासन में सुधार और सार्वजनिक नीतियों में पारदर्शिता, सहयोग के कारण आंतरिक सुरक्षा का विषय सशक्त एवं सुदृढ़ हो रहा है।
कश्मीर जैसे जटिल मुद्दे को सुलझाना सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
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