🔴 सरकार की छवि बिगाड़ने मे जुटी कुशीनगर पुलिस
🔴 संजय चाणक्य /विष्णु श्रीवास्तव
कुशीनगर। मुख्यमंत्री जी। आपकी पुलिस आमजनमानस पर अत्याचार कर रही है। जनपद के कसया पुलिस के पुलिसिया गुण्डई से खौफजादा आजाद भारत के कामनमैन खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। यहां की पुलिस अंग्रेजी कानून की आड़ मे न सिर्फ आम लोगो से मारपीट व महिलाओं से अश्लील हरकत कर फर्जी मुकदमे मे फसाकर जेल भेज रही है बल्कि सरकार की छवि बिगाड़ने मे कोई कसर नही छोड रही है। होटल मे परिवार के साथ खाथ खाना खा रहे परिवार के साथ मंगलवार को हुई पुलिसिया अत्याचार महज एक बानगी है। वैसे तो पुलिस की कारस्तानी की फेहरिस्त बहुत लंबी है।
भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली का दर्शन करने के बाद होटल मे खाना खा रहे परिवार से मारपीट व अश्लील हरकत करने वाली कसया पुलिस की मनगढत कहानी किसी को हजम नही हो रहा है। यही वजह है कि न्यायालय मे पुलिसिया चरित्र की कलई खुल गयी। नतीजतन कोर्ट ने स्वत: मामले का संज्ञान लेते हुए युवतियों का बयान दर्ज कराकर लूट का मुकदमा खारिज कर दिया।
🔴 सवालो के घेरे मे चौकी इंचार्ज का तहरीरअपनी कारस्तानी के लिए खासे चर्चित कसया हाइवे के चौकी इंचार्ज नागेंद्र गोंड की तहरीर के अनुसार मौके से हिरासत में लिए गए छह युवकों ने सरकारी कार्यो में बाधा पहुंचाई और पुलिसकर्मियों से नकदी लूटपाट की। अब सवाल यह उठता है कि होटल मे रात्रि लगभग नौ बजे अपने दो सिपाहियों के साथ चौकी इंचार्ज श्री गोड किस तरह के सरकारी कार्य निपटा रहे थे। चर्चा-ए-सरेआम है कि होटल मे यह लोग पहले से मौजूद थे इसी दौरान मुम्बई का वह परिवार खाना खाने होटल मे पहुचा। एसपी कार्यालय पर मीडिया को अपनी आपबीती बता रही महिला स्पष्ट कह रही है कि जब वह होटल के अन्दर खाने के टेबल के सामने कुर्सी पर बैठी थी तो यह पुलिसकर्मी उनके साथ छेडखानी करने लगे। परिजनो ने जब इसका विरोध किया तो यह तीनो भद्दी-भद्दी गाली देते हुए इन पर टूट पडे। तो क्या चौकी इंचार्ज यही सरकारी कार्य कर रहे थे? बड़ा सवाल यह भी है कि क्या पुलिस अपनी सुरक्षा नहीं कर पा रही है और खुद लूट के शिकार हो गयी, तो फिर इनसे आमजनो की सुरक्षा की उम्मीद कैसे लगायी जा सकती है? कहना न होगा कि तहरीर चौकी इंचार्ज नागेन्द्र गोड ने दी है मतलब यह कि मौके पर चौकी इंचार्ज मौजूद थे अब सवाल यह उठता है कि एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी के मौजूदगी मे इतनी बडी घटना हो गयी और यह साहब सूरदास बने इबारत लिख रहे थे। घटना जब होटल के अन्दर हुआ तो चौकी इंचार्ज ने अपने तहरीर मे घटना को ओवरब्रिज के पास क्यो दर्शाया है इसके पीछे उनकी मंशा क्या थी? जबकि वायर वीडियो इन पुलिसकर्मियों की कुकर्म स्थल की कहानी खुद-पे-खुद बंया कर रही है। ऐसे मे जिम्मेदार लोगो की चुप्पी सरकार की छवि धूमिल करने वाले इन पुलिस वालो को बचाने की मौन सहमति तो नही?
🔴 अलग-अलग कानून क्यों ?काबिलेगोर है कि होटल मे पुलिस और मुम्बई के परिवारजनों के बीच मारपीट की घटना हुई है। स्वभाविक है परिवार के साथ कोई भी व्यक्ति बिना किसी वजह के आम लोगो से भी मारपीट करने से परहेज करता है ऐसे मे पुलिस से किसी परिवार के लोगो द्वारा मारपीट की शुरुआत करना गले से नही उतर रहा है। अब सवाल यह है कि एक ही घटना मे पुलिस द्वारा मढे गये आरोप पर एक परिवार के लोगो पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया जाना और उसी घटना दुसरे पक्ष की महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करायी जा रही है यह कैसा एक समान कानून है?महिला सशक्तीकरण व महिला सम्मान की दावा करने वाली सूबे की सरकार मे एक परिवार के महिलाओं के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा किये अभद्रता अपराध नही है? न्यायसंगत कार्रवाई तो तब होती न जब दोनो आरोपियों के आरोपों की जांच कर कार्रवाई की गयी होती या फिर दोनो आरोपियों के आरोप के अधार पर दोनो पक्ष के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्यवाही हुई होती।
🔴 न्यायालय ने तीनो युवतियों का दर्ज कराया बयानकसया नगर के हाईवे किनारे स्थित होटल में मंगलवार रात पुलिस व युवकों के बीच हुई मारपीट के मामले में चौकी इंचार्ज की तहरीर पर पुलिस ने सात के विरुद्ध लूट सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। गिरफ्तार छह आरोपितों को पुलिस ने दोपहर में एसीजेएम न्यायालय में प्रभारी एसीजेएम के समक्ष मामला पेश हुआ तो लड़कियां भी कोर्ट के सामने प्रस्तुत हुईं। आपबीती बताते हुए लड़कियों ने पुलिस पर उनकी न सुनने का आरोप लगाया। न्यायालय ने तीनों लड़कियों का बारी-बारी से धारा 161 के तहत बयान दर्ज कराया। शासकीय अधिवक्ता व आरोपित पक्ष के वकीलों की दलील सुनने के बाद मामले में आरोपितों के विरुद्ध दर्ज लूट के प्रयास का मुकदमा निरस्त करने का आदेश दिया। देर शाम सभी आरोपित जेल भेज दिए गए। कोर्ट ने मंगलवार को अपने सुरक्षित फैसले पर फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियो का जमानत रद्द कर दिया है।
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