अनुसूचित जाति के युवक ने दिया धर्म परिवर्तन करने की चेतावनी - Yugandhar Times

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Wednesday, December 2, 2020

अनुसूचित जाति के युवक ने दिया धर्म परिवर्तन करने की चेतावनी

🔴 बैक का लोन जमा करने के लिए मोहन नही बेच पाए रहा है अपनी पुश्तैनी जमीन 

🔴 बैंक ने वसूली के लिए घर निलाम करने का जारी किया नोटिस

🔴 संजय चाणक्य

कुशीनगर। वह बैंक का लाखो रुपये कर्जदार है, बैंक वाले लोग उसका घर निलाम कर अपना रुपया वसूल करने के लिए उसे धमका रहे है। कुछ जमीन है उसके पास वह उस जमीन को बेचकर बैंक का कर्जा चुकाने के लिए व्याकुल है, पर क्या करे वह, कोई उसकी जमीन खरीदने को तैयार नही है, इस लिए नही कि जमीन विवादित है या फिर किसी दबंग द्वारा अवैध कब्जा किया गया है, बल्कि लोग इस लिए नही उसका जमीन खरीदना चाहते है क्योंकि वह अनुसूचित जाति से है। अब करे भी तो क्या करे बैंक का कर्जा भी चुकाना जरूरी है इस लिए आज उसने धर्म परिवर्तन करने निर्णय ले लिया है। ऐसे मे यह सवाल उठना लाजमी होगा कि जमीन बेचने के लिए धर्म परिवर्तन करने वाले इस शख्स को किस जेहाद के श्रेणी मे रखा जाये? आखिरकार मुसिबत की घडी मे अनुसूचित जाति के लोग अपनी जमीन बेचने के लिए स्वतंत्र क्यो नही है? 

चौकिए मत जनाब। यह किसी फिल्म या उपन्यास की कहानी नही है। वाक्या है जनपद के पडरौना तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा सिधुआ मिश्रौली गांव की, यहा के निवासी मोहन भारती जो अनुसूचित वर्ग के चमार जाति से विलान करते है। अपने पूरे कुनबे के साथ बिना किसी दबाव के धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम सम्प्रदाय को स्वीकार करना चाहते है। इसकी इन्होने घोषणा भी कर दी है इसके पीछे इनका तर्क है कि उनके उपर बैंक का 14 लाख रुपये से अधिक का कर्ज है, बैंक ने घर की निलामी कर अपना पैसा वसूल करने का नोटिस जारी कर दिया है, पूरे परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे गुजारा करने से बेहतर है अपनी पुश्तैनी जमीन को बेचकर बैंक के कर्ज से छुटकारा पाना चाहता हू किन्तु अनुसूचित जाति के होने के वजह से कोई भी हमारे पुश्तैनी जमीन को खरीदने के लिए कोई तैयार नही है। ऐसा लग रहा अनुसूचित जाति मे जन्म लेना ही अभिशाप बन गया है। इस लिए स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम धर्म स्वीकार करना चाहता हू ताकि अपनी पुश्तैनी जमीन को बेचकर बैक के कर्ज से छुटकारा पाए सके , उसके बाद मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश करेगे। 

🔴 क्या है पूरा मामला

 काबिलेगोर है कि वर्ष 2015 मे मोहन ने गौशाला के लिए बैंक से 9 लाख रुपये का लोन लिया था, लेकिन इसी बीच मोहन प्रसाद के पिता को पैरालाइसिस का अटैक हो जाने की वजह से गौशाला से  होने वाला आय पिता के इलाज मे खर्च होने लगा। इसी दरम्यान गाय को चारा खिलाते समय मोहन की माँ की गिरने से रीढ की हड्डी टूट गयी। परिणामस्वरूप मोहन के कंधेमपर मा की दवा की जिम्मेदारी भी आ गयी। परिवार पर एक के बाद एक करके आये दुखो का सामना करने के कारण गौशाला का व्यवसाय भी चौपट हो गया और बैंक का कर्ज समय से जमा न होने के वजह व्याज भी बढता गया। यही वजह है कि 9 लाख रुपये बैंक से लोन लेने वाले मोहन पर व्याज सहित बैंक की 14 लाख से अधिक की देनदारी हो गयी है।

🔴 जमीन बेचने के अलावा नही है कोई रास्ता 

मोहन का कहना है कि  उसके परिवार पर दुखों का पहाड टूट पडा है, बैंक को अपनी सारी मजबुरी बता चुके है इसके बावजूद बैंक को हमारे परिवार पर तरस नही आ रहा है। मोहन ने कहा कि हमने बैंक से कुछ मोहलत मांगी तो उन्होने हमारा घर निलाम कर वसूली करने का नोटिस जारी कर दिया। उसने सवालिया अंदाज़ मे कहा अब आप ही बताइए हम क्या करे अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर बैंक का कर्जा चुकाना चाहते है तो अनुसूचित जाति के वजह से कानूनी अड़चनों के कारण कोई हमारा जमीन खरीदने को तैयार नही है। 

🔴 मोहन ने दी चेतावनी

मोहन ने जिला प्रशासन सहित अन्य उच्चधिकारियो को प्रार्थना पत्र भेजकर गुहार लगाने के साथ चेतावनी भी दिया है। मोहन ने अपने पत्र मे कहा है कि बैंक का कर्जा चुकाने के लिए या तो उसे मोहलत दी जाए या फिर उसे अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर बैंक का लोन जमा करने की अनुमति दी जाये। मोहन ने स्पष्ट शब्दों मे यह चेतावनी भी दिया है कि अगर इन दोनो मांगो मे से कोई भी एक मांग नही मानी जाती है तो वह अपने पूरे कुनबे के साथ अपनी स्वेच्छा से धर्मान्तरण कर इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेगा। उसके बाद वह अपनी जमीन आसानी से  बेचकर बैंक का कर्जा चुका सकेगा। मोहन के ऊपर मा-बाप के इलाज के अलावा पत्नी और तीन बच्चों का पेट भरने की जिम्मेदारी है।



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