🔴 घटना के बाद कुभकर्णी निद्रा से जागते है जिम्मेदार, कुछ दिन तक होती है कार्रवाई फिर मामला ठंडे बस्ते
🔴निलंबित किये पुलिसकर्मियों पर हुई कार्रवाई तो समझ मे आती है लेकिन अब सवाल यह उठता है क्या यह घटना सिर्फ इन्ही चार पुलिसकर्मियों की लापरवाही का नतीजा है। खुफिया तंत्र के अलावा थानाध्यक्ष और प्रशासनिक अमला इसके लिए जिम्मेदार नही है? थानेदार और एसडीएम की कोई जबाबदेही नही है, इस घटना के लिए ये जिम्मेदार नही है?
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। अगर यह कहा जाये कि कुशीनगर जनपद बारुद की ढेर पर बैठा है तो किसी भी नजर से गलत नही होगा। वजह यह है कि विजयादशमी का पर्व बीतने के साथ ही दीपावली की त्योहार को लेकर जनपद के घनी आबादी वाले अलग-अलग क्षेत्रों मे बारुद का अवैध भण्डारण का सिलसिला आज से नही शुरू हुआ है। बल्कि यह अवैध कारोबार कई वर्षो से चला आ रहा है और यह सब कुछ पुलिसिया तंत्र और जिला प्रशासन की जानकारी मे होता रहा है। इसका खामियाजा बुधवार को कप्तानगंज कस्बे के आर्यनगर मुहल्ले के बाशिंदों को भुगतना पडा है। ऐसे यह सवाल उठना लाजमी है कि रिहायशी क्षेत्रों मे अवैध बारुद भण्डारण के लिए जिम्मेदार कौन है? और इन जिम्मेदारो पर अब क्या कार्रवाई की गयी है? क्या कुछ गिने-चुने पुलिसकर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई कर इस तरह के अवैध कारोबार और इससे होने वाली विस्फोटक घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है?
कहना न होगा कि जिले के कप्तानगंज कस्बे मे घनी आबादी के बीच पटाखे का अवैध कारोबार कई वर्षों से चल रहा था। बावजूद इसके जिले के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस विभाग के अलावा खुफिया तंत्र को इसकी जानकारी नहीं मिली यह अपने आप मे एक आश्चर्यजनक सवाल है। इस घटना के बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा चौकी इंचार्ज समेत चार पुलिसकर्मियों को बीट की सूचना एकत्रित करने में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। यहा तक कि कार्रवाई तो समझ मे आती है लेकिन अब सवाल यह उठता है क्या यह घटना सिर्फ इन्ही चार पुलिसकर्मियों की लापरवाही का नतीजा है। खुफिया तंत्र के अलावा थानाध्यक्ष और प्रशासनिक अमला इसके लिए जिम्मेदार नही है? थानेदार और एसडीएम की कोई जबाबदेही नही है, इस घटना के लिए ये जिम्मेदार नही है?
बुधवार को कप्तानगंज के आर्यनगर मुहल्ले में विस्फोट की वजह से चार लोगों की मौत व दर्जनभर लोगों के घायल होने की बाद जिले में अवैध रूप से चल रहे पटाखा कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई अभियान शुरू हो गई है। अब सवाल यहा भी उठता है कि कार्रवाई का यह सिलसिला किसी घटना के बाद ही क्यो शुरू होती है और चार दिन बाद ठंडे बस्ते मे क्यो चली जाती है? पिछले वर्ष 2019 में तुर्कपट्टी थानाक्षेत्र में एक मस्जिद में मिले बारूद वर्ष 2012 मे कसया क्षेत्र के अहिरौली बाजार मे पटाखा बनाते समय हुए विस्फोट मे एक महिला की मौत के बाद इस धंधे पर रोक लगाने के लिए तमाम सख्त निर्देशो के साथ जिले भर में इसकी जांच हुई, लेकिन बाद में सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया। इस वर्ष भी दीपावली के त्योहार से पहले पटाखों के अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए सभी थानाक्षेत्रों में जांच की खानापूर्ति कर अपने दायित्वों औपचारिकता निभाई गई परन्तु इनके हाथ कुछ भी नही लगा। नतीजा यह रहा कि एक घर में इतनी बड़ी मात्रा में पटाखा जमा हो गया जिससे कि एक मकान तो ध्वस्त हुआ ही बगल के चार मकानों की दीवारे भी क्षतिग्रस्त हो गई और चार लोग असमय काल के गाल मे समा गये। चार लोगो के मौत के बाद कुभकर्णी निद्रा से जगे जिम्मेदार अब जिले में अवैध पटाखा कारोबारियों की छानबीन शुरू कर दी है।
काबिलेगोर है कि कुशीनगर जनपद मे पटाखा बनाने और बेचने वाले केवल 16 लाइसेंसधारक हैं। जिले के अफसरान भी मानते हैं कि कप्तानगंज कस्बे में पटाखे की जिस गोदाम में विस्फोट की घटना हुई, वह अवैध था। जनपद मुख्यालय स्थित अग्निशमन विभाग की माने तो पडरौना नगर के कसेरा टोली, नेबुआ नौरंगिया के खानू छपरा, कप्तानगंज कस्बा, बोदरवार और पटहेरवा थानाक्षेत्र के राजा विशुनपुरा में पटाखे बनाने और बेचने के लिए एक-एक व्यक्ति को लाइसेंस जारी किया गया है। इनके अलावा रेडीमेट पटाखा स्टोर करके बेचने के लिए पडरौना शहर के नेहरू नगर व कसेरा टोली मुहल्ले में दो-दो, कसया के सपहां रोड पर एक और तमकुहीराज में दो दुुकानों को लाइसेंस मिला है। इसी तरह से कप्तानगंज में दो, कसया क्षेत्र के मल्लूडीह में एक व्यक्ति को लाइसेंस जारी है, लेकिन इनकी मौत हो चुकी है। पडरौना में एक लाइसेंस धारक ने स्वेच्छा से यह व्यवसाय छोड़ दिया है। फिर सवाल यह उठता है दीपावली के त्योहार पर पूरे जनपद सैकडो की संख्या बारुद का भण्डारण कर पटाखा बनाने व पांच सौ से अधिक की तदात मे रेडीमेड पटाखा स्टोर कर बेचने वाले अवैध कारोबारियों का दुकान खुलेआम कैसे सजता है?
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