🔴 युगान्धर टाइम्स नेटवर्क
कुशीनगर। बीते बुधवार को जनपद के कप्तानगंज कस्बे मे हुए बारुदी विस्फोट के मामले में वहां तैनात रहे थानाध्यक्ष संजय कुमार मिश्रा को लाइन हाजिर कर दिया गया है। इनकी जगह पर पुलिस लाइन से मिथिलेश कुमार राय को कार्यवाहक थानेदार बनाया गया है।
काबिलेगोर है कि कप्तागनंज कस्बे के आर्यनगर मुहल्ले में अवैध पटाखा करोबारी जावेद के घर में बीते बुधवार को बारुदी विस्फोट के कारण चार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक युवती ने सोमवार को दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि इस हादसे के बाद कस्बे में हुई जांच के बाद दो अन्य जगहों से भी भारी मात्रा में अवैध रूप से रखा पटाखा बरामद हुआ था। हालांकि घटना के दिन केवल कस्बा चौकी इंचार्ज व बीट के तीन सिपाही ही निलंबित किए गए थे। विस्फोट मामले की जांच के बाद आगे की कार्रवाई मे कप्तानगंज के थानाध्यक्ष रहे संजय कुमार मिश्रा को भी लाइन हाजिर किया गया है। अपर पुलिस अधीक्षक अयोध्या प्रसाद सिंह की माने तो पटाखा विस्फोट की घटना की जांच में स्थानीय पुलिस की लापरवाही सामने आई। इसके जद मे यह कार्रवाई की गई है। पुलिस लाइन से मिथिलेश कुमार राय को कप्तानगंज का कार्यवाहक एसओ बनाया गया है।
🔴 साहब इन जिम्मेदारो की कब होगी जबाब देही तय
कहना न होगा कि पटाखा विस्फोट मे हुए पांच लोगो की मौत के बाद पहले चौकी इंचार्ज और बीट कांस्टेबलो के निलंबन उसके बाद थानाध्यक्ष के खिलाफ की गयी कार्रवाई अपने दायित्वों के प्रति लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के लिए एक नजीर है वही दुसरी तरह यह भी सवाल उठता है कि उ0प्र0 शासन के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी द्वारा जारी पत्र संख्या - जन 1162-छ:-पु-5-2020-800(01)/2018 जिसमे स्पष्ट शब्दों मे उपजिलाधिकारी एंव क्षेत्राधिकारी की जबाब देही तय करते हुए उन्हे निर्देश दिया गया है कि प्रदेश के सभी थोक व खुदरा आतिशबाजी की दुकानों के संबंध मे 2 नवंबर से 15 नवंबर तक विशेष अभियान चलाकर सभी आतिशबाजी की दुकानों का निरीक्षण कर आख्या व विवरण शासन की ईमेल आईडी पर उपलब्ध करावे। ऐसे मे यक्ष प्रश्न यह है कि शासन द्वारा जब उपजिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी को अवैध पटाखा कारोबारियों के खिलाफ विरोध अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है तो इन जिम्मेदार अधिकारियों ने 2 नवंबर से अपने क्षेत्रों मे आतिशबाजी की दुकानों का निरीक्षण क्यो नही शुरू किया। बेशक अगर 2 नवंबर से यह अभियान पूरे जनपद मे शुरू हुआ होता तो कप्तानगंज मे न तो दिल दहलाने वाली घटना होती और न ही पांच मौते। ऐसे मे जिम्मेदारो पर अब कार्रवाई न होना अपने आप मे एक बडा सवाल है।
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