काकोरी कांड की वर्षगांठ.... सीएम योगी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि - Yugandhar Times

Breaking

Sunday, August 9, 2020

काकोरी कांड की वर्षगांठ.... सीएम योगी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क 

लखनऊ। स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने वाले काकोरी कांड की वर्षगांठ पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी है. मुख्यमंत्री ने काकोरी कांड की वर्षगांठ को भारतीयों के लिए पुनीत दिवस बताया है. बता दें कि 9 अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी में एक ट्रेन लूट ली थी. क्रांतिकारियों का मकसद ट्रेन से सरकारी खजाना लूटकर उन पैसों से हथियार खरीदना था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को ट्वीट में लिखा, 'मां भारती को पराधीनता की बेड़ियों से स्वतंत्र कराने हेतु निर्णायक युद्ध भारत छोड़ो आंदोलन एवं साहसपूर्ण, गौरवशाली काकोरी कांड की वर्षगांठ समस्त भारतीयों के लिए पुनीत दिवस है. स्वतंत्रता के यज्ञ में सम्मिलित सभी हुतात्माओं को कोटि-कोटि नमन. जय हिंद.'। 

उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता आंदोलन में राजधानी के काकाेरी कांड की घटना स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है. क्रांतिकारियों ने पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ इस घटना को अंजाम देकर नई क्रांति का आगाज किया था.  9 अगस्त 1995 में क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन को लूट लिया था. ट्रेन से सरकारी खजाना लूटकर उन पैसों से हथियार खरीदने की योजना थी. काकोरी कांड से अंग्रेजी हुकूमत बुरी तरह से हिल गई थी। 

🔵 क्या है काकोरी काण्ड 

भारत के स्वाधीनता आंदोलन में काकोरी कांड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. लेकिन इसके बारे में बहुत ज्यादा जिक्र सुनने को नहीं मिलता। इसकी वजह यह है कि इतिहासकारों ने काकोरी कांड को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी.। लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि काकोरी कांड ही वह घटना थी जिसके बाद देश में क्रांतिकारियों के प्रति लोगों का नजरिया बदलने लगा था और वे पहले से ज्यादा लोकप्रिय होने लगे थे। 

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन पर शोध करने वाली डॉ. रश्मि कुमारी लिखती हैं, ‘1857 की क्रांति के बाद उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में चापेकर बंधुओं द्वारा आर्यस्ट व रैंड की हत्या के साथ सैन्यवादी राष्ट्रवाद का जो दौर प्रारंभ हुआ, वह भारत के राष्ट्रीय फलक पर महात्मा गांधी के आगमन तक निर्विरोध जारी रहा. लेकिन फरवरी 1922 में चौरा-चौरी कांड के बाद जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया, तब भारत के युवा वर्ग में जो निराशा उत्पन्न हुई उसका निराकरण काकोरी कांड ने ही किया था। 

1922 में जब देश में असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था, उसी साल फरवरी में ‘चौरा-चौरी कांड’ हुआ. गोरखपुर जिले के चौरा-चौरी में भड़के हुए कुछ आंदोलकारियों ने एक थाने को घेरकर आग लगा दी थी जिसमें 22-23 पुलिसकर्मी जलकर मर गए थे. इस हिंसक घटना से दुखी होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था, जिससे पूरे देश में जबरदस्त निराशा का माहौल छा गया था. आजादी के इतिहास में असहयोग आंदोलन के बाद काकोरी कांड को एक बहुत महत्वपूर्ण घटना के तौर पर देखा जा सकता है। क्योंकि इसके बाद आम जनता  बिटिश हुकूमत से मुक्ति के लिए क्रांतिकारियों की तरफ और भी ज्यादा उम्मीद से देखने लगी थी। 


नौ अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन में सरकारी खजाना लूटी थी। इसी घटना को ‘काकोरी कांड’ के नाम से जाना जाता है. क्रांतिकारियों का मकसद ट्रेन से सरकारी खजाना लूटकर उन पैसों से हथियार खरीदना था ताकि अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध को मजबूती मिल सके। 9 अगस्त 1925 को हुए काकोरी कांड का मुकदमा 10 महीने तक चला था जिसमें रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफाक उल्लाह खां को फांसी की सजा हुई।


No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Responsive Ads Here