🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज व्यूरो
कुशीनगर। सुहागिन महिलाओं ने शुक्रवार को हरितालिका तीज पर निराजल व्रत रख कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर पति के अखंड सौभाग्य की कामना की। महिलाए दिनभर की तैयारी के बाद शाम को सज धज कर विधि विधान से देवाधिदेव महादेव और माता गौरी की विधिवत पूजा की। भगवान को अर्पित की गई सुहाग की सामग्रियों मे सुहागिन महिलाओ ने कुछ अपने पास रखा और कुछ पुरोहितों को दान दी। इस शुभ घडी मे शिवालय महिलाओं से गुलजार रही।
गौरतलब है कि हर तालिका तीज हिन्दू धर्म मे मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हर तालिका तीज मनाने की विधान है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र मे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजन का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान मृत्युंजय ( शिव) को अपने पति के रूप मे पाने के लिए किया था। हर तालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान निलकंठ, माता गौरी और मंगलकारी प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
🔴 व्रती महिलाओं ने शिव मंदिरो मे किया पूजा
हरितालिका तीज का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। सुबह व्रत रखने से पहले भोर में महिलाओं ने मिठाई और फल खाया। पूरा दिन निराजल व्रत रखा। दिनभर पूजा की तैयारी में महिलाएं व्यस्त रहीं। नगर के शिवालय शिव मंदिर, सिधुआ स्थान शिव मंदिर, कुबेरस्थान स्थित शिव मंदिर, सहित जनपद के विभिन्न शिव मंदिरों पर तीज व्रती महिलाओं ने कथा श्रावण किया। मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकाल को ध्यान मे रखते हुए महिलाओं ने पूजन-अर्चन के बाद दान-पुण्य किया।
🔴 भगवान को किया सुहाग सामग्रियां अर्पित
तीज व्रत के पावन पर्व पर महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की। लाल चूड़ी, फीता, बिंदी, आलता, कंघी, शीशा, मेहंदी, बिछिया सहित सुहाग की अन्य सामग्रियां भगवान को अर्पित की। पूजा में चढ़ाई गई कुछ चूड़ियां महिलाओं ने स्वयं धारण कर अन्य सामान पुरोहितों को दान कर दिए। जो महिलाएं किसी कारणवश मंदिर नहीं जा सकीं वो घर में ही पूजा-अर्चना की।
🔴 ऐसी मान्यता है
पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए 12 वर्षों तक वन में कठोर तपस्या की। पूजा के प्रभाव से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन देते हुए उन्हे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वचन दिया। इसी मान्यता को लेकर कुमारी कन्या सुयोग्य पति पाने के लिए एवं विवाहिता अपने पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ तीज व्रत करती हैं। व्रत के दौरान निराहार रहकर शिव-पार्वती का पूजन किया जाता है। महिलाएं लगातार 24 घंटे तक निराहार रहती हैं। दूसरे दिन विधि पूर्वक पूजन कर व्रती महिलाए अन्न-जल ग्रहण करती है।
🔴 तीजव्रत कथा सुनने से सैकड़ों यज्ञ का प्राप्त होता है फल
हरितालिका पर्व पर आयोजित कथा वाचक व श्री चित्रगुप्त मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीदास महाराज ने कहा कि भाद्रपद मास में हस्त नक्षत्र से युक्त शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तीज व्रत की संज्ञा से विभूषित किया गया है। इस व्रत को विवाह से पूर्व तीज व्रत करने से मनोवांछित पति की प्राप्ति होती है तथा विवाहोपरांत तीज व्रत रखने से महिलाएं सौभाग्यवती होती हैं। इसके साथ ही सभी प्रकार के सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। श्री दास ने कहा कि केवल तीजव्रत कथा सुनने से प्राणी एक हजार अश्वमेध और सैकड़ों यज्ञ करने का फल प्राप्त करता है।
पार्वती के पिता ने नारद जी को वचन दिया था कि पार्वती का विवाह विष्णु से करूंगा तब पार्वती ने सखियों से बताया कि मैं तो शिव जी को अपना पति मान चुकी हूं। इस पर सखियां पार्वती को वन ले गई तथा वन में पार्वती ने तीज व्रत किया और इस व्रत के प्रभाव से शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।
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