पुलिस विभाग मे ट्रान्सफर-पोस्टिंग का खेल..... उद्योग या रुटीन प्रक्रिया - Yugandhar Times

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Thursday, July 30, 2020

पुलिस विभाग मे ट्रान्सफर-पोस्टिंग का खेल..... उद्योग या रुटीन प्रक्रिया


🔵 राष्ट्रपति पर मुकदमा दर्ज करने की बात करने और गणतंत्र दिवस पर उल्टा तिरंगा फहराने वाले खाकी पर। रहम और पुलिस के खिलाफ खबर लिखने वाले पत्रकार पर सितम

🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। जनहित को ध्यान मे रखते हुए अपराध पर रोक लगाने और कानून व्यवस्थाध को चुस्त-दुरुस्त करने के नाम पर जनपद के पुलिस विभाग मे  ट्रान्सफर - पोस्टिंग का एक अनोखा खेल खूब चल रहा है। चर्चा-ए-सरेआम है कि विभाग - ए-शहंशाह कुशीनगर पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मिश्र द्वारा अपने कार्यकाल मे जितना ट्रान्सफर-पोस्टिंग किया गया है शायद आज तक उतना ट्रान्सफर पोस्टिंग कभी नही हुआ होगा। कहना ना होगा कि लगभग एक वर्ष के कार्यकाल मे तकरीबन एक हजार पुलिसकर्मियों को जिले के अलग-अलग थानो और चौकियों पर फेरबदल करने का रिकार्ड पुलिस कप्तान श्री मिश्र के नाम ही दर्ज हो गया होगा। ऐसा  सूत्रो का कहना है। ऐसे मे इस ट्रान्सफर पोस्टिंग के खेल को रुटीन स्थानांतरण कहा जाये या फिर एक अनोखा धन उगाही का उद्योग-धंधा? अपने आप मे एक सवाल है। यही वजह है की हाल ही मे हुए निरीक्षक और उपनिरीक्षकों के स्थानांतरण पर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जेपी शाही ने सार्वजनिक तौर पर फेशबुक पर सवाल उठाया था। 
       बेशक सरकारी विभागों मे ट्रान्सफर एक रुटीन प्रक्रिया है या फिर यह कहना भी गलत नही होगा कि स्थानांतरण प्रक्रिया नौकरी एक हिस्सा है। लेकिन पुलिस विभाग मे  ट्रान्सफर-पोस्टिंग का यह प्रक्रिया एक उद्योग धंधे का अनोखा खेल बन गया है। तभी तो जिले मे इन दिनो पुलिस विभाग मे हो रहे ट्रान्सफर-पोस्टिंग और लाइन हाजिर का खेल विभागीय गलियारों से लेकर आम लोगो मे   चर्चा का विषय बना हुआ है। विभागीय गलियारों मे चर्चा इस बात की भी जोरो पर है  कि तमाम थानेदारो को दो से तीन महीने मे इधर-उधर करने मे पुलिस अधीक्षक द्वारा कोई कोताही नही बरती जा रही है तो कुछ ऐसे भी थानेदार है जिनके ऊचे पहुंच को देखते हुए विभाग-ए-शहंशाह उन पुलिसकर्मी पर हाथ डालना भी मुनासिब नही समझते है।
🔴 एक वर्ष के ट्रान्सफर-पोस्टिंग पर एक नजर
 बिगत एक वर्ष मे हुए ट्रांसफर पोस्टिंग पर एक नजर दौड़ाये तो संजय सिंह अलग - अलग थाना विशुनपुरा, हाटा और पटहेरवा की कमान संभाल चुके है। परन्तु यह तीन माह से अधिक कही नही टिक सके। इसी तरह से दिलीप पांडेय को हनुमानगंज व सेवरही थाने का कमान दी गयी थी परन्तु पुलिस अधीक्षक श्री मिश्र के मापदंड मे यह भी फिट नही बैठे और इन्हे भी तीन माह से अधिक किसी थाने पर जौहर दिखाने का मौका नही मिला। राहुल सिंह की बात करे तो इन्हे कप्तानगंज, अहिरौली बाजार और तरयासुजान थाने की  जिम्मेदारी दी गयी थी लेकिन यह भी ज्यादा दिनो तक किसी थाने पर टिक नही सके। इसके अलावा उमेश कुमार, अनिल कुमार, राशिद खान, सुनील सिंह, जेपी पाठक सरीखे निरीक्षक /उपनिरीक्षक है जो पुलिस अधीक्षक के मापदंड पर खरे नही उतरे और इन्हें तीन माह के भीतर ही इस थाने से उस थाने के लिए अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पडा।

🔴 इन पर मेहरबान है पुलिस कप्तान 
ऐसी चर्चा है कि कुशीनगर पुलिस प्रशासन के विभाग-ए-शहंशाह अपने कुछ मातहतों पर ज्यादा मेहरबान भी है अब इस मेहरबानी के पीछे कारण क्या है यह कह पाना मुश्किल है लेकिन यह उनकी मेहरबानी का ही नतीजा है कि जनपद मे आते ही हरेंद्र मिश्रा को पहले पटहेरवा फिर हाटा कोतवाली मे लंबे समय तक खाकी का धौस दिखाने की जिम्मेदारी दी गयी उसके बाद  फिर जनपद के मलाईदार थानों में शुमार तरयासुजान थाना की कमान सौंप दी गयी हैं। अब ऐसे मे सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्या कारण है कि हरेन्द्र मिश्रा को हाइवे के किनारे वाले मलाईदार थानों की ही कमान सौपी जाती है जबकि इनके खाते मे कोई गुडवर्क भी दर्ज नही हैं। इसी क्रम मे अनुज कुमार सिंह के तैनाती पर गौर करे तो श्री सिंह को खड्डा, कप्तानगंज के बाद कसया और अब नेबुआ नौरंगिया जैसे मलाईदार थानों की कमान सौपी गयी हैं। सूत्र बताते है कि अनुज कुमार सिंह के कार्यशैली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है साहब के ही प्रताड़ना से तंग आकर खड्डा में एक युवक की संदिग्ध हालत मे मौत हो गयी थी। इनके ऊपर लगे इस आरोप मे कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। इतना ही नही श्री सिंह पर यह भी आरोप है कि जब वह कप्तानगंज व कसया थाने के प्रभारी थे तो खिलाफ मे छपे खबरो से खार खाये दो पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा लिखकर जेल भेज दिया था। साहब का इकलाब इतना बुलंद है कि कसया मे एक सत्तादल के नेता की पिटाई कर गाड़ी सीज कर दिया और नेताजी के समर्थको पर खूब लाठी बरसाये। अब सवाल यह यह उठता है कि इतने विवादों में रहने के बावजूद अनुज सिंह पर पुलिस कप्तान की मेहरबानी क्यो जो उन्हे लगातार थानों की कमान सौंपी गई हैं। इसी तरह बीते दिनों कप्तानगंज से हाटा प्रभारी निरीक्षक बनाये गये ज्ञानेंद्र राय के पूर्व के कार्यशैली पर नजर दौडाये तो तकरीबन आठ माह  कसया थाने पर तैनाती के दौरान तमाम घटनाओ के खुलासे करने मे नाकाम रहे। इनके ही कार्यकाल में बदमाशों ने असलहा लहराते हुए कुशीनगर विधायक के घर पहुंचकर जान से मारने की धमकी दी थी। बताया जाता है कि एक सप्ताह तक पुलिस हाथ मलती रही थी और बाद में पुलिस ने मैनेज के खेल के तहत बदमाशो को पकड़ा था। उसके बाद इनको चार माह तक हाइबे से दूर कप्तानगंज थाने की कमान सौपी गई और फिर उन्हें हाइवे का महत्वपूर्ण थाना कोतवाली हाटा की जिम्मेदारी दे दी गयी हैं। इसी तरह लगभग दस माह से कोतवाली पडरौना की कमान संभाल रहे पवन सिंह जिन्होने गणतंत्र दिवस पर कोतवाली परिसर मे उल्टा झण्डा फहराकर खूब सुर्खियां बटोरी थी। इनका एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमे उनके द्वारा पुलिस का पावर बताते हुए महामहिम राष्ट्रपति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात कही गयी थी। फिर भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गयी। पवन सिंह पर यह भी आरोप है कि उन्होंने जटहा बाजार में आंदोलन कर रहे किसानों पर गोलियां चलाई थी जिसमे उनका सर्विस रिवॉल्वर गायब हो गया और मुकदमा भी दर्ज हुआ। इन सबके वावजूद लम्बे समय से कोतवाली पडरौना पर इनका इकबाल बुलंद है। इसी तरह  संजय मिश्रा जो लंबे समय तक पटहेरवा, रामकोला व नेबुआ नौरंगिया में चार्ज पर रहे, जिन्हें जमातियों के रिपोर्ट  मे फेरबदल के मामले में निलम्बित कर दिया गया था किन्तु दो माह के अंदर ही उन्हे कप्तानगंज थाने का प्रभार दे दिया गया। इसके अलावा रामाशीष यादव को खड्डा नगर पालिका कर्मचारी से मारपीट के मामले में निलंबित कर दिया गया, फिर दो माह के अंदर ही श्री यादव को हनुमानगंज और फिर एक माह बाद ही कसया थाने का चार्ज दे दिया गया है। जबकि जानकर बताते हैं कि निलम्बित दरोगा या इंस्पेक्टर को छः माह तक किसी थाने का प्रभार नही दिया जा सकता हैं। 
🔴 इन पर बेरुखी क्यो
  कहना न होगा कि जनपद के कुछ पुलिसकर्मियों पर पुलिस अधीक्षक खासे मेहरबान रहे है तो वही कुछ पुलिसकर्मियों पर इनकी बेरुखी साफ पर पर देखने को मिली। भगवान सिंह की तैनाती बहादुरपुर, कुबेरस्थान, कप्तानगंज और नेबुआ नौरंगिया हुई लेकिन यह तीन महीने से ज्यादा कही नही टिक सके। इसी तरह शैलेंद्र सिंह को कप्तानगंज, पडरौना, कुबेरस्थान, नेबुआ नौरंगिया, राजीव सिंह को कसया, फाजिलनगर, बहादुरपुर, कप्तानगंज और फिर सम्मन सेल, राकेश रोशन सिंह को अहिरौली बाजार, रामकोला, कसया, हाटा, समउर बाजार, तमकुही और फिर पुलिस लाइन भेजा गया। जबकि दीनानाथ पांडेय  को कप्तानगंज, पड़रौना, खड्डा, रविन्द्रनगर, विशाल सिंह को डीसीआरबी, कुशीनगर, मधुरिया, तुर्कपट्टी, हनुमानगंज और  वेदप्रकाश सिंह को रामकोला, हनुमानगंज, कप्तानगंज थाना क्षेत्रो मे ट्रान्सफर एक्सप्रेस के चपेट मे आना पडा। गया। ये आंकड़े बताते हैं पुलिस कप्तान को अपने ही मातहतो पर विश्वास नही है या फिर ...।

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