🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। जनपद के पडरौना विकास खण्ड क्षेत्र के जंगल जगदीशपुर ने सरकारी दावों से परे हकीकत दिखा दी. यहां ससुराल में शौचालय नहीं होने के कारण 16 बहुओं ने ससुराल छोड़कर मायके चली गईं हैं. इन बहुओं का कहना है कि घर मे शौचालय नहीं होने की वजह से बरसात में बड़ी समस्या थी. खेतों में पानी भर गया है तो शौच करने हम कहां जाएंगे. आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2018 में ही पूरे कुशीनगर जनपद को कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया गया है लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावे से कोसों दूर नजर आ रही है।
🔴 सरकारी दावो का खुली पोल
बरसात में "घुंघट " की यह बगावत स्वच्छ भारत मिशन के सरकारी दावों की सारी पोल खोलकर रख दी है. जैसे ही पंचायतीराज विभाग को मीडिया टीम की गाँव मे पहुँचने की जानकारी हुई डीपीआरओ गाँव मे पहुँच गए और ग्रामीणों की समस्याओं को सुन शौचालय निर्माण का तत्काल आदेश दिया। लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि बिना मौके पर शौचालय का निर्माण कराए पूरे जनपद को कागजों में संतृप्त दिखाने की इतनी जल्दबाजी क्यों थी?
🔴 जिम्मेदार के पास कोई जबाब नही
इस सवाल का जबाब न तो डीपीआरओ के पास है और न ही सरकार के पास। अधिकारियों का वही रटा रटाया जबाब है कि एमआईएस की सूची में इनका नाम नही होने की वजह से इनको लाभ नही मिला है लेकिन किन परिस्थितियों में इन गरीबों का नाम सूची में नहीं शामिल हुआ इसका जबाब किसी के पास नहीं है. . जो शौचालय बने हैं वह भी प्रयोग लायक नहीं हैं।
🔴 दो वर्ष पूर्व कुशीनगर जनपद घोषित हुआ है " खुले मे शौच मुक्त"
बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुशीनगर जनपद में तकरीबन 4 लाख शौचालय बनने थे। कुशीनगर जनपद को 2 अक्टूबर 2018 को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था। ओडीएफ मतलब "खुले में शौच मुक्त" और यह तभी सम्भव है जब सभी शौचालयों का निर्माण शतप्रतिशत करा दिया गया हो. इस सरकारी दावे पर से पडरौना विकास खंड के जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया की लगभग डेढ़ दर्जन बहुओं ने पर्दा हटा दिया है।
🔴 भरपटिया टोले मे अधिकांश लोगो के पास नही है शौचालय
भरपटिया टोले की यह बहुयें ससुराल छोड़कर मायके इसलिये चली गईंं है कि उनके घर में शौचालय नहीं है और उन्हें शौच के लिये तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. शौचालय निर्माण का सच सामने लाने वाली इन बहुओं का कहना है कि गांव के एक तरफ नाला है तो दूसरी तरफ नहर. चारों तरफ पानी लगता है. जबतक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता है तबतक मायके में ही रहेगी. बहुओं की बातों को उनके ससुराल वाले भी मान रहे हैं.आपको बता दें कि टोला भरपटिया की आबादी तकरीबन 1000 है और यहां गरीब तपके के लोग निवास करते है. गरीबों की बस्ती होने के बाद भी अधिकतर के पास शौचालय नहीं है..
🔴 गांव चारो लगा है पानी
इस गाँव की रहने वाली अनाई देवी हाथ से विकलांग हैं. रहने को घर नही है तो फिर शौचालय कहाँ से बनवा पाती. इनकी बहु सोनी जब बरसात शुरू हुई तो घर छोड़कर मायके चली गई. कारण था कि शौचालय बना नही है और बरसात में खेतों में पानी भर जाने की वजह से शौच करने में दिक्कत हो रही थी. इस गाँव की बतासी देवी का तो और बुरा हाल है इनकी झोपड़ी के बगल में खेत मे पानी लग गया है।
🔴 मायके जाने से पहले बहुओ ने कहा जब तक शौचालय नही बनेगा नही आयेगे ससुराल
जब शौच करने में बहुओं को दिक्कत हुई तो उनकी दो बहुएं ससुराल छोड़कर मायके चली गईं. कुसुमवती देवी की बहू तो पहले घर छोड़कर मायके गई फिर लौट कर आई लेकिन आज फिर अपने पिता जी को बुलाकर मायके जा रही है. वही हाल पुष्पा देवी की बहू के साथ भी है. सबका कहना है कि जब तक शौचालय नही बन जाता वह लौटकर ससुराल लौट कर नही आएंगी. या तब आएंगीं जब खेतों में पानी सूख जाएगा.
🔴 कुलकर्णी न निन्द्रा से जागे डीपीआरओ
इस टोले की रहने वाली प्रियंका, विद्यावती, रोली, रिकूं, अंशु, गीता, रीमा, काजल, सोनी, अनिता, राबड़ी, संगम, सुमन, ज्योति, गिरजा, नीलम और पुनीता अपना ससुराल छोड़कर मायके चली गई है. इसकी जानकारी मिलने पर जब मीडिया की टीम गाँव पहुचीं तो पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक लग गई और डीपीआरओ अपने लाव लश्कर के साथ गाँव पहुँच गए।अब नींद से जागे अधिकारी लोगों की समस्याओं को सुनकर तत्काल शौचालय बनाने का आदेश दिया।
🔴 डीपीआरओ बोले बहुए कही नही गयी अपने घर है
मौके पर गाँव पंहुचे जिला पंचायतराज अधिकारी राघवेंद्र द्विवेदी ने बताया कि 465 शौचालय का एमआईएस था, बार-बार शौचालय के लिए एमआईएस कराने का प्रचार किया गया था लेकिन कोई अपनी समस्या लेकर नही आया। चुनाव के समय यह लोग एकाएक जागरूक हुए कि शौचालय बनाना है। जो 16 बहुओं के घर छोड़कर जाने की बात है वह सभी घर पर हैं।
🔴पात्र होने के बावजूद सूची मे नाम क्यों नही
कल यह लोग सरकारी जमीनों पर शौचालय बनाने के लिए दबाव बना रहे थे लेकिन आज समझाने पर अपने खेतों में शौचालय बनवाने को तैयार हो गए हैं. जल्द इनका शौचालय एमआईएस करा कर या मनरेगा के तहत करवा दिया जाएगा. सच्चाई की बात करें तो एमआईएस कराने की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान, ब्लॉक और डीपीआरओ के ही कंधों पर होती है. सूची भी इन्हीं की देखरख में बनती है फिर किन परिस्थितियों में इनका नाम सूची में नही लिखा गया यह जांच का विषय है।
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