🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर । स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में कराए जा रहे शौचालय निर्माण में रोज नये घोटाले सामने आ रहे हैं। जनपद में ग्राम प्रधान और सचिव के मिलीभगत से जिले के तकरीबन सभी विकास खण्डो मे शौचालय घोटाले के मामले उजागर होने के बावजूद जिम्मेदार धृतराष्ट्र बने बैठे। जगजाहिर है कि जिले के तमाम ग्राम पंचायतों में पात्रों को दरकिनार कर अपात्रों से मोटी रकम लेकर शौचालय मुहैया करायी गयी है। तो कुछ जगह ऐसे मामले भी सामने आये है जहां बिना शौचालय बनवाए ही धन निकाल लिए गए हैं।
ऐसा ही मामला बानगी कुशीनगर जनपद के तमकुहीराज विकासखण्ड अंतर्गत सेमरा हर्दो पट्टी मे देखने को मिला है। सेमरा हर्दोपट्टी के निवासियों ने ग्रामप्रधान पर यह आरोप लगाया है कि उनका नाम शौचालय की सूची में है लेकिन उनका शौचालय नहीं बनवाया गया है। ग्रामीणों के कहना है कि इस सम्बन्ध में ब्लॉक से पता करने पर यह पता चला कि एमआईएस लिस्ट में जिन लोगों का नाम है उनका शौचालय बन चुका है या उन्हें शौचालय बनवाने के लिए पैसा दे दिया गया है। जबकि ग्रामीणों का आरोप है कि गांव मे लगभग डेढ दर्जन से ऊपर की संख्या में हरिजन निवास करते हैं उनका नाम सूची में है लेकिन इसके बावजूद न तो उन्हें शौचालय बनवाने के लिए कोई धनराशि दी गई है और न ही प्रधान द्वारा उनके लिए शौचालय बनवाया गया है।
कहना न होगा कि बीते वर्ष 2019 में ही 2 अक्टुबर को ही पंचायती राज विभाग ने पूरे कुशीनगर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया था। लेकिन जब हमारे संवाददाता इसकी असलियत जानने के लिए तमकुहीराज विकास खण्ड के सेमरा हर्दोपट्टी गांव में पँहुचे तो यहा का नजारा कुछ और ही देखने को मिला। ग्रामीणो ने एक ही झटके विभागीय दावे की कलई खोलकर रख दिया। विभागीय दावे का एक नमुना यह भी देखने को मिला कि गांव में कई शौचालयों के ऊपर लिखे नाम को तो मिटाकर दूसरे का नाम लिखा गया था। जानकार बताते है ऐसा इस लिए किया गया है कि पूर्व मे बने शौचालय को दुसरे ग्रामीण नाम लिखकर उसकी फोटो ग्राफिक कराकर नये भुगतान कराया जा सके सूत्र बताते है ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी ऐसे भुगतान कराने मे सफल भी रहे। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान द्वारा ऐसा कई लोगों के शौचालयों पर किया गया है। कई शौचालय तो गांव में ऐसे भी मिले जिनकी टँकी के लिये एक वर्ष पूर्व खोदा गया आज भी वैसे ही पडा हुआ है। किसी का टंकी बना है तो छत नही लगा और किसी का छत बना है तो सीट नही लगा है। मतलब यह कि जो बना भी है वह भी आधा-अधूरा।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में शौचालय की सूची में 239 लोगों का नाम दर्ज है, लेकिन प्रधान का कहना है कि मैंने 250 से ऊपर शौचालय बनवा दिया है जबकि गांव के लगभग डेढ दर्जन से अधिक हरिजन जाति के लोगों का शौचालय निर्माण हुआ ही नहीं है। अब सोचने वाली बात यह है कि जब सेमरा हर्दोपट्टी गांव के लिए जारी शौचालय की लिस्ट से अधिक शौचालय का निर्माण हुआ है तो फिर सही मायने मे पात्र और दलित समुदाय शौचालय के लाभ से कैसे वंचित रह गया। इस सम्बन्ध में इस गांव के पाठक टोला निवासी रघुनाथ प्रसाद, राम गुलाब प्रसाद, महातम प्रसाद, रामायन प्रसाद, राधेश्याम प्रसाद, फुलेसर प्रसाद, रवि प्रसाद ने तमकुहीराज ब्लॉक के बीडीओ को एक शिकायती पत्र देकर प्रधान पर यह आरोप लगाया है कि साहब । हम चमार जाति के है इस लिए प्रधान ने हम सभी शौचालय नही बनवाया है, जबकि विभाग द्वारा जारी शौचालय की लिस्ट में हम सभी का नाम दर्ज है । इसके बावजूद भी हमलोगों का शौचालय नहीं बनवाया गया है। जिसके कारण हमारे घर की बहू बेटियों को बाहर जाना पड़ता है। यहा के हरिजन बिरादरी के बाशिंदों ने ग्राम प्रधान पर यह भी आरोप लगाया है कि प्रधान से जब हम लोगों ने शौचालय बनवाने के लिए कहा और यह पूछा कि हमलोगों का नाम सूची में होने के बाद भी हमारा शौचालय क्यों नहीं बनवाया गया तो प्रधान का कहना था कि हम जिसको चाहेंगे उसी का शौचालय बनेगा और तुम लोग चमार जाति के हो इसीलिए तुम लोगों का शौचालय नहीं बनेगा। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर आरोप लगाया है कि गांव में लगभग 100 से अधिक शौचालयों का पैसा बिना शौचालय बनवाये प्रधान द्वारा डकार लिया गया है। इस सम्बन्ध में सम्बन्धित जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो पायी।
🔵क्या कहता है विभाग
विभाग के मुताबिक शौचालय की धनराशि के लिए पहले एमआइएस पर ऑनलाइन फीडिंग जरूरी है। फीडिंग के उपरांत लाभार्थी को छह हजार रुपये दिए जाते हैं। कार्य पूरा होने पर छह हजार रुपये की दूसरी किश्त भी जारी कर दी जाती है। इसके बाद शौचालय निर्माण का फोटो भारत सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करना होता है। तब जाकर वह शौचालय पूर्ण माना जाता है।
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