🔵 संजय चाणक्य
कुशीनगर। समाज कल्याण विभाग द्वारा हरिजन प्राथमिक विद्यालयो मे शिक्षकों की नियुक्ति मे व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा किए जाने का मामला प्रकाश प्रकाश मे आया है। चर्चा-ए-सरेआम है कि टीईटी से बचने के लिए समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन विभाग - ए-शहंशाह द्वारा मोटी रकम लेकर बैक डेट मे शिक्षको की नियुक्ति की गयी है। विभागीय गलियारों मे चर्चा यह भी है कि शासनादेश का उल्लघंन और सर्विस नियमावली को ताक पर रखकर बैक डेट मे फर्जी तरीके से किए शिक्षको के नियुक्ति के बाद शासन ने उन फर्जी शिक्षको के नाम जो करोडो रुपये की धनराशि एरीयर के रूप मे आवंटित किया है उसे विभाग के उच्चधिकारी डकारने के फिराक मे है।
गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित सूबे के लखनऊ, वाराणसी, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ, बलिया आदि जनपदो मे हरिजन/अम्बेडकर प्राथमिक विद्यालयो मे बैक डेट मे फर्जी तरीके से की गयी शिक्षको की नियुक्ति का मामला जगजाहिर है। ऐसा नही है कि शासनादेश व सर्विस नियमावली के विपरीत बैक डेट मे की गई फर्जी नियुक्ति का खेल सिर्फ इन्ही जनपदो तक सिमित है। विभागीय सूत्रो की माने तो प्रदेश के अधिकांश जनपदो मे समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा फर्जी नियुक्ति का " गेम प्लान " कर करोड़ रुपये वसूल किये गये है। चर्चाओं के बाजार मे इस बात की चर्चा भी जोरो पर है कि हरिजन विद्यालयो मे शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति के खेल मे कुशीनगर जनपद भी शामिल है। सूत्रों की माने तो कुशीनगर जिले के तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी टीके सिंह द्वारा जनपद के तकरीबन दो दर्जन हरिजन विद्यालयो पर 50 से अधिक शिक्षको की जो नियुक्तियां की गयी है उनमे ज्यादातर शिक्षको की नियुक्ति टीईटी से बचने के लिए बैक डेट मे फर्जी तरीके की गई है। सूत्र यह भी बताते है कि फर्जी व अवैध तरीके से की गई इस नियुक्ति मे शिक्षकों से मोटी रकम वसूलने के साथ साथ एरीयर की पुरी धनराशि जिले के नियुक्ति पदाधिकारी व प्रबंध तंत्र को भेट देने की राजीनामा भी शिक्षको ली गई है।
🔴 नियुक्ति प्रक्रिया मे शासनादेश का खुला उल्लंघन
समाज कल्याण विभाग द्वारा जनपद के हरिजन/ अम्बेडकर विद्यालयो मे की गई नियुक्ति के दौरान शासनादेश व सर्विस नियमावली को ताक पर रखने की बात सामने आ रही है। सूत्र बताते है कि नियुक्ति प्रक्रिया के विभिन्न चरणों मे नियुक्ति से पूर्व न तो शासन अथवा निदेशालय से अनुमति ली गयी है और ना ही शिक्षको के रिक्तियों से संबंधित सर्रकुलेशन वाले समाचार पत्रों मे विज्ञापन प्रकाशित किया गया है। जबकि किसी भी नियुक्ति मे यह दोनो प्रक्रिया अपनाये बिना नियुक्ति की प्रक्रिया वैध नही होती है। सूत्रों की माने तो फर्जी नियुक्ति के इस खेल मे बेसिक शिक्षा नियमावली 1975 तथा संशोधित 1977 के प्रावधान 9 का उल्लघंन भी किया गया है। इसके अलावा बिना टीईटी पास अधिकांश आवेदकों की नियुक्ति 27 जुलाई-2011 से पूर्व बैक डेट मे की गई है जबकि यह सभी नियुक्तियां विगत ढाई वर्षो के अन्तराल मे की गई है और मजे की बात यह है कि 27 जुलाई-2011 से अध्यापक पात्रता परीक्षा लागू है।
🔴 इनकी है मिलीभगत
ऐसी चर्चा है कि जिले के तकरीबन दो दर्जन विद्यालयों मे विगत ढाई वर्षों के अन्तराल मे की गई फर्जी शिक्षक की नियुक्ति के खेल मे विद्यालय के प्रबंध तंत्र, जिले का समाज कल्याण विभाग, निदेशालय व शासन से जुडे विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत के बाद इस फर्जीवाड़े को मूर्त रूप दिया गया है। इस फर्जीवाड़े के खेल मे करोडो रुपये के वारे-न्यारे की दुर्रगंध की बू आ रही है।
🔴 शासन के रोक के बाद कैसे हुई नियुक्ति
कहना न होगा कि शासन ने सभी नियुक्तियों पर रोक लगा है। शासन द्वारा 15 मार्च-2012 से लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाने वाली भर्ती तथा न्यायालय के आदेश के अनुपालन मे की जाने वाली नियुक्तियों को छोडकर अन्य सभी प्रकार के भर्ती / नियुक्ति पर प्रतिबंध लगा रखा है। सवाल उठना लाजमी है कि फिर किस आधार पर यह नियुक्तियां की गयी है। सवाल यह भी उठता है इन नियुक्तियों का अनुमोदन किसने किया और किस शासनादेश के तहत किया गया? ऐसे मे यह कहना लाजमी है कि यह सभी नियुक्तियां एक गंभीर अनियमितता व फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर रहा है जो विद्यालय के प्रबंध तंत्र और समाज कल्याण विभाग द्वारा की गई है।
🔴 कुशीनगर मे कब होगी कार्रवाई?
बेशक। समाज कल्याण विभाग के अनुदानित पाठशालाओ मे बैक डेट मे फर्जी दस्तावेजो के आधार पर की गई नियुक्ति को शासन ने संज्ञान मे लेते हुए लखनऊ, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, और बलिया के जनपदो मे कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कुशीनगर मे शासन का हंटर कब चलेगा? उपरोक्त जनपदो की तरह यहा भी विगत ढाई वर्षो के अन्तराल मे व्यापक स्तर पर फर्जी दस्तावेजो के आधार पर बैक डेट मे शिक्षको की नियुक्ति कर करोडो रुपये धन उगाही की गयी है।
🔴 करोडो रुपये एरीयर की धनराशि पर जमी है गिद्ध दृष्टि
बताया जाता कि तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी टीके सिंह के कार्यकाल मे फर्जी तरीके से बैंक डेट मे की गई शिक्षको के नियुक्ति के बाद शासन ने उन सभी शिक्षको के एरीयर की धनराशि तकरीबन पांच करोड रुपये आवंटित किया है जिस पर समाज कल्याण विभाग के जिम्मेदार व विद्यालय का प्रबंध तंत्र गिद्ध दृष्टि जमाये बैठा है। सूत्र बताते है कि इसके पीछे वजह यह है कि नियुक्ति के दौरान अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूल करने के बाद विभाग और प्रबंध तंत्र ने उन अभ्यर्थियों से राजीनामा लिया है कि एरीयर की धनराशि से उनका कोई लेना देना नही होगा। और यही राजीनाम सभी विद्यालयो पर नियुक्त अध्यापकों पर लागू है। यही वजह है कि विभाग और प्रबंध तंत्र अपने हिस्से का करोडो रुपये की धनराशि पाने के लिए हर तरह के हथकंडा अपनाने मे जुटे हुए है।
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