आंगनबाड़ी केन्द्र भारत में ग्रामीण मां और बच्चो की देखभाल का ऐसा केन्द्र है, जहां से बच्चों की भूख और कुपोषण दूर करने के लिए भारत सरकार द्वारा इन केन्द्रों की स्थापना की गयी है। ये केन्द्र अनुपूरक पोषण प्रदान करते हैं। साथ ही बच्चों को पूर्व प्राथमिक शिक्षा पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा प्रतिरक्षण, स्वास्थ्य जांच के साथ पूरे गांव की गर्भवती, धात्री महिलाओं, किशोरी बालिकाओं एवं 06 वर्ष की आयु तक के बच्चों का नामांकन करते हुए उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य शिक्षा अनुपूूरक पोषाहार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा वितरित किया जाता है। प्रदेश के यह आंगनबाड़ी केन्द्र माह के 25 दिन खुले रहते हैं। प्रदेश के प्रत्येक ग्राम में जनसंख्या के आधार पर आंगनबाड़ी केन्द्र स्थापित हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों में खेल का मैदान, खेल सामग्री, तथा बाल हितैषी खिलौनें रखे जाते हैं। केन्द्र में साफ-सफाई, स्वच्छ जलापूर्ति, बाल हितैषी शौचालय, विद्युतीकृत बड़ा हाल, बरामदा आदि मूलभूत सुविधाएं होती है।
प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रांे पर मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए पूरी व्यवस्था की है। जिन केन्द्रों पर पेयजल, शौचालय, विद्युत व्यवस्था नहीं थी, उनमें समस्त व्यवस्थायें पूर्ण करने के लिए आवश्यक धनराशि भी दी गयी है। प्रदेश सरकार की नीति है कि जमीनी स्तर पर गांवों में स्थापित इन केन्द्रों में पूर्ण व्यवस्था, साफ-सुथरा माहौल और आकर्षक भवन होने से बच्चों का मन लगेगा और वे केन्द्र पर आकर सामूहिक रूप से खेल-कूद, पोषाहार खाने एवं खेल-खेल में पढ़ना सीखेंगे। बच्चों को इन केन्द्रों पर स्वच्छ जल और स्वच्छ भोजन भी दिया जाता है। उन्हें शारीरिक स्वच्छता के विषय में भी अवगत कराया जाता है। बच्चों के बालमन में जो सिखाया जाता है, वही आदत वे बड़े होने तक बनाये रखते हैं। आंगनबाड़ी केन्द्र बच्चों की प्राथमिक पाठशाला भी होते हैं, जहां बच्चे सीखकर अपना विकास करते हैं।
प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से वितरित हो रहे अनुपूरक पोषाहार को पारदर्शी बनाते हुए सुव्यवस्थित किया है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत बच्चों, गर्भवतीध्धात्री महिलाओं, किशोरियों के हिसाब से आंगनबाडी कार्यकत्री द्वारा बाल विकास परियोजना अधिकारी को मांगपत्र भेजा जाता है, जो उसे सत्यापित कर जिला कार्यक्रम अधिकारी को भेजते हैं। डीपीओ उसे सत्यापित कर निदेशालय एवं निदेशालय द्वारा सम्बन्धित आपूर्तिकर्ता फर्म को प्रेषित किया जाता है। आपूर्तिकर्ता फर्म द्वारा पोषाहार सीधे बाल विकास परियोजना कार्यालय पर आपूर्ति की जाती है और सीडीपीओ द्वारा खण्ड विकास अधिकारी एवं उपजिलाधिकारी के समक्ष पोषाहार के पैकेट सत्यापित कर गोदाम में रखा जाता है। आपूर्तिकर्ता द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पैकेट पहुंचाया जाता है तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा ग्राम प्रधान व अन्य सदस्यों के समक्ष सत्यापन करते हुए वितरण किया जाता है। यह वितरण व्यवस्था पूर्णतया कम्प्यूटराइज्ड मैनेजमेण्ट सिस्टम से हो रही है। प्रदेश सरकार की इस व्यवस्था से पुष्टाहार सभी पात्रों को मिल रहा है और जिससे वे लाभान्वित हो रहे हैं।
..... सूचना विभाग द्वारा जारी
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