अमिताभ के 77 वां जन्मदिन पर विशेष - Yugandhar Times

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Saturday, October 12, 2019

अमिताभ के 77 वां जन्मदिन पर विशेष



मुम्बई।अपनी दमदार आवाज और अभिनय के दम पर दर्शकों को अपना दीवाना बनाने और हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के शहंशाह कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन आज अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनकी कड़ी मेहनत ने आज उन्हें उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा। वर्तमान दौर में महानायक अमिताभ बच्चन को हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा कलाकार कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी उनका सिनेमाई करियर पाच दशक साल से ज्यादा का है इस दौरान उन्होंने सैकड़ों फिल्मों में काम किया है और उनमें कई दर्जन फिल्में ऐसी हैं जो दर्शकों के दिलों में सालों से बसी हुई हैं पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी से लेकर आखिरी रिलीज़ बदला तक अमिताभ हर फिल्म में कुछ अलग और कुछ नया करने की कोशिश करते आए हैं।
अमिताभ बच्चन से जुड़ी खास बातें
  अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था। उनके पिता श्री हरिवंशराय बच्चन जाने माने हिंदी कवियों में से एक थे। अमिताभ बच्चन की शुरुआती शिक्षा इलाहाबाद में ही हुई। उसके बाद उन्होंने नैनीताल के एक बोर्डिंग स्कूल में शिक्षा हासिल की। अमिताभ विज्ञान से इतने प्रभावित हुए कि उनमें वैज्ञानिक बनने की इच्छा जागृत हुई। हालांकि बाद में यह शौक जाता रहा।श्री बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकत्ता में बतौर सुपरवाइजर की जहां उन्हें 800 रुपये मासिक वेतन मिला करता था। साल 1968 मे कलकत्ता की नौकरी छोड़ने के बाद मुंबई आ गये। बचपन से ही अमिताभ बच्चन का झुकाव अभिनय की ओर था और वो अभिनेता बनना चाहते थे।

अमिताभ को अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह दिन भी देखना पड़ा जब उनकी आवाज को लोगों ने नकार दिया था। फिल्म जगत में अपने करियर के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन ने आकाशवाणी में भी अनाउंसर पद के लिए आवेदन किया लेकिन वहां काम करने का अवसर नहीं मिला। यहां तक कि फिल्म रेशमा और शेरा में अपनी अच्छी आवाज के बावजूद उन्हें मूक भूमिका भी स्वीकार करनी पड़ी।
सदी के महानायक या बॉलीवुड के शहंशाह ऐसे कितने ही नाम उनको दिए गए हैं। अभी हाल ही में दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाजे गए अमिताभ बच्चन जितने अच्छे अभिनेता हैं उतने ही अच्छे इंसान भी। अपने फिल्मी करियर में अलग मुकाम हासिल करने वाले महानायक अभिनेता का जीवन भी हमेशा सुर्खियों में रहता है। फिल्मी दुनिया के अलावा एक समय था जब अमिताभ राजनीति का रुख किए थे। अतीत की बात करें तो अमिताभ बच्चन और गांधी परिवार के बीच रिश्ता भी कुछ खास था। इतिहास गांधी परिवार और बच्चन परिवार के रिश्तों में उतार चढ़ाव का गवाह रहा है। दोनों परिवार एक दूसरे के लंबे समय तक दोस्त रहे हैं लेकिन उसके बाद बच्चन.गांधी परिवार के संबंधों में विश्वास और भरोसे की गाड़ी पटरी से उतर गई। दोनों परिवारों के रिश्ते की कहानी किसी बॉलीवुड ड्रामा से कम नहीं है जहां कई ट्विस्ट और टर्न हैं।

अमिताभ बच्चन के पिता विदेश मंत्रालय में हिंदी अधिकारी के रूप में काम करते थे। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उनकी बहुत इज्जत करते थे और इलाहाबाद में रहते हुए दोनों परिवार बहुत करीब आ गए। अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी की बहुत अच्छी दोस्त बन गईं। बाद में जब बच्चन परिवार दिल्ली शिफ्ट हुआ तेजी बच्चन को सोशल एक्टिविस्ट के रूप जाना जाने लगा और इंदिरा के साथ उनकी दोस्ती गहरी होती गई। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या तक दोनों परिवारों के संबंध बहुत घनिष्ठ रहे। यह रिश्ता अमिताभ और राजीव गांधी की दोस्ती के रूप में आगे बढ़ता गया।
यह अमिताभ बच्चन ही थे जो 13 जनवरी 1968 की सुबह कड़ाके की सर्दी में पालम एयरपोर्ट पर सोनिया गांधी को लेने पहुंचे। इस दिन सोनिया गांधी राजीव की मंगेतर के रूप में भारत पहुंची थी। सोनिया को बच्चन परिवार के घर ठहराया गया और तेजी ने उनको भारतीय संस्कृति और तौर तरीकों के बारे में समझाया।


खबरों के मुताबिक राजीव गांधी जब सोनिया गांधी से शादी करने की तैयारी में थे तेजी बच्चन ने ही मध्यस्थ के रूप में भूमिका निभाई और इंदिरा गांधी को इसके लिए तैयार किया। इंदिरा गांधी एक इटैलियन लड़की से अपने बेटे की शादी को लेकर अनिच्छुक थीं। 1969 में जब सोनिया और राजीव गांधी की शादी पक्की हो गईए सोनिया और उनका परिवार कुछ दिनों के लिए 13 विलिंगडन क्रीसेंट स्थित बच्चन परिवार के आवास पर ठहरा। 1984 में अमिताभ और राजीव गांधी के रिश्ते नई ऊंचाई पर थेए राजीव गांधी ने अपने दोस्त अमिताभ बच्चन को कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद से चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर लिया।1984 में अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद से कांग्रेस का टिकट मिला और उन्होंने बड़े अंतर से हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया। दोनों परिवारों के लिए यह गर्व का क्षण था।
इसके बाद दिल्ली में अमिताभ बच्चन कांग्रेस की यूथ ब्रिगेड का हिस्सा बन गए। सतीश शर्मा अरूण नेहरू अरूण सिंह और कमलनाथ के साथ उनकी तुलना होने लगी। तीन साल बाद अमिताभ ने राजनीति छोड़ दी और इस्तीफा दे दिया। दरअसलए एक अखबार ने बोफोर्स घोटाले में उनकी संलिप्तता को लेकर खबर छापी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट की ओर से अमिताभ बच्चन को इस मामले में क्लीन चिट मिल गई।
रक्षा सौदे ने दो पुराने दोस्तों में मतभेद के बीज रोप दिए। बुरे हालात में भी दोनों परिवारों ने रिश्ते का दिखावा बनाए रखा और प्रियंका गांधी की शादी में अमिताभ बच्चन भी शामिल हुए। राजनीति में छोटी पारी खेलने के बाद अमिताभ बच्चन 1988 में एक बार फिर बॉलीवुड में लौटे लेकिन शहंशाह की सफलता के बाद बॉक्स ऑफिस पर उनकी फिल्में औंधे मुंह गिरी।1991 में फिल्म हम के हिट होने के बाद लगा कि अमिताभ की किस्मत पलटेगी लेकिन क्षणिक सफलता का समय था। 1992 के बाद अमिताभ बच्चन को पांच सालों के लिए एक तरह से फिल्मों से संन्यास लेना पड़ा। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद दोनों परिवारों के रिश्ते बिगड़ते गए। गांधी परिवार को महसूस हो रहा था कि बुरे वक्त में अमिताभ बच्चन उन्हें अकेला छोड़कर चले गए। एक परिवार जो प्रधानमंत्री के आवास में कभी भी आ जा सकता था अचानक से उसे अछूत समझा जाने लगा। दूसरी ओर अमिताभ बच्चन का कहना था कि गांधी परिवार उन्हें राजनीति में लेकर आया और परेशानी के समय उन्हें बीच में ही छोड़ गया। इसके साथ ही जब बच्चन की कंपनी एबीसीएल दिवाला हो गई और अमिताभ आर्थिक संकट से जूझ रहे थे गांधी परिवार ने उनकी मदद नहीं की। इस संकट ने दोनों परिवारों के रिश्ते को डुबो दिया और अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन अपनी निराशा को पब्लिक से छुपा नहीं पाईं। इसी बीच अमिताभ की जिंदगी में अमर सिंह की एंट्री होती है और समाजवादी नेता ने बिगबी की पूरी मदद की। अमिताभ और अमर की दोस्ती बढ़ती गई और आगे चलकर समाजादी पार्टी की ओर से जया बच्चन को राज्यसभा का सांसद बनाया गया। अमिताभ बच्चन के अमर सिंह के साथ जाने से गांधी परिवार के साथ उनकी दूरी बढ़ती गई।2004 के चुनावों में जया बच्चन ने कहा जो लोग हमें राजनीति में लेकर आए वो हमें संकट में छोड़कर चले गए। वो लोगों के साथ विश्वासघात करने वाले हैं। इसके बाद राहुल गांधी ने जवाब दिया बच्चन परिवार झूठ बोल रहा है। इतने सालों बाद वे क्यों आरोप लगा रहे हैं अमिताभ बच्चन दो दशक पहले राजनीति में आए और अब उन्होंने अपनी वफादारी बदल ली है। जो लोग गांधी परिवार को जानते हैं। उन्हें पता है कि हमने किसी के साथ विश्वासघात नहीं किया। लोग जानते हैं कि किसने किसको धोखा दिया। लोग यह भी जानते हैं कि उनकी वफादारी किसके साथ है। इसके बाद अमिताभ बच्चन ने भी अपनी बात रखी वे ;गांधी परिवार लोग राजा हैं और हम ;बच्चन परिवार रंक ;सामान्य लोग हैं। रिश्ते की निरंतरता शासक के मूड पर निर्भर करती है। अब वे मेरे परिवार पर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं।

कांग्रेस के राजनीतिक दुश्मन बाल ठाकरे के साथ अमिताभ बच्चन की घनिष्ठता ने इसे और खराब किया। ठाकरे हमेशा अमिताभ बच्चन के साथ खड़े रहे चाहे वह फिल्म सरकार की रिलीज का मामला हो या उनके भतीजे राज ठाकरे का अमिताभ बच्चन पर महाराष्ट्र के साथ विश्वासघात का आरोप लगाना। कांग्रेस के शासन में 2005 में इनकम टैक्स विभाग की ओर से अमिताभ बच्चन को 45 करोड़ रुपये का नोटिस मिला। अमिताभ इस समय लीलावती अस्पताल में भर्ती थे और आंत की बीमारी से जूझ रहे थे। अस्पताल के बेड पर लेटे अमिताभ बच्चन ने अपने हाथों बिल भरा। 2006 में इनकम टैक्स विभाग ने एक बार फिर अमिताभ बच्चन से उनकी कंपनी अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड से जुड़े टैक्स का विवरण मांगा।
फिल्म जमानत में अमिताभ बच्चन ने दृष्टिहीन वकील की भूमिका में 2 लाख 70 हजार रुपये का रे.बैन का चश्मा पहना और उसे अपने दोस्त और डायरेक्टर एस रामनाथन को गिफ्ट कर दिया। इनकम टैक्स विभाग एक बार फिर हरकत में था। इस बार उन्होंने बिग बी से चश्मे की खरीददारी को लेकर पूछताछ की। 2007 में कांग्रेस की महाराष्ट्र सरकार ने अमिताभ बच्चन पर अवैध तरीके पुणे के पास कृषि भूमि खरीदने का आरोप लगाया। लोनावाला में आठ हेक्टेयर भूमि की खरीददारी को अमिताभ बच्चन ने सही ठहराया और कहा कि उत्तर प्रदेश में वह एक किसान थे।राज्य सरकार ने अमिताभ से स्वयं को किसान साबित करने को कहा। अमिताभ ने दस्तावेज दिखाए इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में उनके पास खेत हैं। हालांकि अपने फैसले में यूपी की कोर्ट ने कहा कि अमिताभ बच्चन किसान नहीं हैं और उनके पास राज्य में खेत खरीदने का अधिकार नहीं है।
मार्च 2010 में एक और राजनीतिक विवाद पैदा हुआ जब बिग बी मुंबई में बांद्रा वर्ली सी लिंक के नए फेज के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे। अमिताभ की उपस्थिति ने बवाल खड़ा कर दिया। मुंबई कांग्रेस के कुछ लोगों ने खुलकर अपनी निराशा जाहिर की। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने हिस्सा लेने से इंकार कर दिया।
गांधी परिवार और अमिताभ बच्चन के परिवार के रिश्तों को देखते हुए कांग्रेस नेता गांधी परिवार के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लालायित रहते हैं। राजनीतिक लाभ लेने के चक्कर में कांग्रेस नेता इस बात से अनभिज्ञ रहे कि उनकी हरकत भारत के सबसे बड़े आइकॉन का अपमान हैए जो उस कार्यक्रम में इसलिए शामिल हुए कि क्योंकि उन्हें न्यौता दिया गया था।
किससे पूछने के बाद फिल्म साइन करते हैं अमिताभ बच्चन
आम तौर पर अमिताभ बच्चन अपनी बहु ऐश्वर्या रायए पोती आराध्या और बेटी श्वेता बच्चन नंदा की प्रशंसा करते दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि अमिताभ बच्चन को बेटियों से बेहद प्यार है। लेकिन अब श्वेता अपने पिता को सलाह भी देती हैं। श्वेता की किताब के लांच के दौरान अमिताभ ने बताया था कि वो फिल्म साइन करने से पहले बेटी श्वेता की राय जरूर लेते हैं।
करन जौहर का कहना है कि श्वेता के अंदर टैलेंट कूट.कूट कर भरा है। वो कहते हैं वो हर एक बात को इतनी खूबसूरत तरीके से पेश करती हैं की सुनने वाले को मजा ही आ जाता है। श्वेता जाने.माने बॉलीवुड सितारों की काफी अच्छी मिमिक्री करती हैं पर अफसोस ये कोई नहीं जानता और ना ही कभी किसी ने देखा है। श्वेता बहुत ही शर्मीली हैं। अपने बचपन की यादें ताजा करते हुए करन जौहर कहते हैं कि जब वो और श्वेता छोटे थे तो उनकी आपस में खूब बनती थी क्योंकि दोनों का मकसद अभिषेक बच्चन को परेशान करना होता था। करन जौहर ने कहा ष्एक दिन तो गजब ही हो गयाए श्वेता का जन्मदिन था और मैं वहां सुपरमैन के अवतार में चला गया जबकि उस पार्टी का कोई थीम नहीं था। मेरी मां को गलतफहमी हो गई और मेरा पोपट बन गया था।
डॉन से लेकर पिंक तक अमिताभ बच्चन के डॉयलॉग्स
फिल्म- शहंशाह
रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं नाम है शहंशाह
फिल्म- शराबी
हां डैडी लेकिन आप एक बात भूल रहे हैं कि आप जैसे तमाम बटन वालों के ऊपर भी एक बैठा हुआ है जिसके हाथ में मेन स्विच है। ज़िंदगी तकदीर ये सब असली करंट तो वहीं से आता है उसने अगर किसी दिन मेन स्विच ऑफ कर दिया तो
फिल्म- पिंक
नो नो यॉर ऑनर न सिर्फ एक शब्द नहीं अपने आप में एक पूरा वाक्य है यॉर ऑनर इसे किसी तर्क स्पष्टीकरण एक्सप्लेनशन या व्याख्या की जरूरत नहीं होती न का मतलब न ही होता है माई क्लाइंट सैड नो यॉर ऑनर एंड दीज़ ब्वॉयज़ मस्ट रियलाइज  का मतलब  होता है उसे बोलने वाली लड़की कोई परिचित हो फ्रेंड हो गर्लफ्रेंड हो कोई सेक्स वर्कर हो या आपकी अपनी बीवी ही क्यों न हो एंड समवन सेस सो यू
फिल्म- अग्निपथ
विजय दीनानाथ चौहान पूरा नामए बाप का नाम दीनानाथ चौहान मां का नाम सुहासिनी चौहान गांव मांडवा उमर 36 साल 9 महीना 8 दिन ये16वां घंटा चालू है।
फिल्म- कालिया
हम भी वो हैं जो कभी किसी के पीछे खड़े नहीं होते जहां खड़े हो जाते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है।
फिल्म- डॉन
डॉन का इंतज़ार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है लेकिन सोनिया एक बात समझ लो डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
फिल्म- अमर अकबर एंथोनी
एइसा तो आदमी लाइफ में दोइच टाइम भागता है ओलिंपिक का रेस हो या पुलिस का केस हो।
फिल्म- दीवार
मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।
फिल्म- ज़ंजीर
ये पुलिस स्टेशन है तुम्हारे बाप का घर नहीं।
फिल्म- शोले
अब क्या बताएं मौसी लड़का तो हीरा है हीरा।
फिल्म- मुकद्दर का सिकंदर
गोवर्धन सेठ समंदर में तैरने वाले कुओं और तालाबों में डुबकी नहीं लगाया करते।






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