मोदी,शाह और डोभार ने थी सौपी थी सुब्रमण्यम के कन्धो पर जिम्मेदारी ......... आईएएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने की थी मिशन कश्मीर की पूरी प्लानिंग - Yugandhar Times

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Tuesday, August 6, 2019

मोदी,शाह और डोभार ने थी सौपी थी सुब्रमण्यम के कन्धो पर जिम्मेदारी ......... आईएएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने की थी मिशन कश्मीर की पूरी प्लानिंग

 नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के टुकड़े करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन की शुरुआत दरअसल जून के तीसरे हफ्ते में ही हो गई थी जब उन्होंने 1987 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम  को जम्मू एवं कश्मीर का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया सुब्रमण्यम ने;प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में प्रधानमंत्री के साथ पहले भी काम कर चुके थे वे मोदी के मिशन कश्मीर के मुख्य अधिकारियों में से एक थे मिशन कश्मीर का समूचा काम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह  को दिया गया था जो कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद के साथ मिलकर अपनी कोर टीम के साथ कानून निहितार्थ की समीक्षा कर रहे थे जिसमें कानून और न्याय सचिव आलोक श्रीवास्तव अतिरिक्त सचिव कानून ;गृह मंत्रालय आरएस वर्मा अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा और कश्मीर खंड की उनकी चुनी हुई टीम शामिल थी
 पीएम मोदी और डोभाल की हुई थी कई बैठके 
शाह ने बजट सत्र की शुरुआत से पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ;आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत और उनके सहयोगी ;महासचिव भैयाजी जोशी को अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू और कश्मीर को दो अलग.अलग केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के विचार से अवगत करा दिया था कानूनी सलाह.मशविरे के बाद शाह का ध्यान अनुच्छेद 370 हटाने के बाद घाटी में कानून और व्यवस्था की स्थिति संभालने पर था शाह से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री की सलाह पर शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ;एनएसए  अजित डोभाल के साथ कई दौर की बैठक की
डोभाल ने खुद जाकर संभाला श्रीनगर मोर्चा
सूत्रों ने बताया कि शाह ने जब एक बार कश्मीर की स्थिति की खुद समीक्षा कर ली उसके बाद डोभाल को सुरक्षा की दृष्टि से स्थिति की समीक्षा करने के लिए श्रीनगर भेजा गया एनएसए ने वहां तीन दिनों तक डेरा डाला उसके बाद 26 जुलाई को अमरनाथ यात्रा रोकने का फैसला किया गया उसके बाद घाटी से सभी पर्यटकों को निकालने की सलाह भी डोभाल ने ही दी थी इसके बाद केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर की गई
सुब्रमण्यम ने की पूरी प्लानिंग
जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव सुब्रमण्यम जो प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय के साथ संपर्क में थे उन्होंने ग्राउंड जीरो पर कई सुरक्षा कदम उठाने का खाका तैयार कियाए जिसमें पुलिस अर्धसैनिक बलों और प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों द्वारा सैटेलाइट फोन का प्रयोग करने संवेदनशील शहरी और ग्रामीण इलाकों में क्यूआरटी ;क्विक रेस्पांस टीम की तैनाती करने तथा सेना द्वारा नियंत्रण रेखा पर चौकसी बढ़ाने जैसे कदम शामिल थे सेना सुरक्षा एजेंसियों और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रमुख केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव के साथ चौबीसों घंटे संपर्क में थे
पूरी प्लानिंग के तहत जम्मू कश्मीर में लागू की गई धारा 144
4 अगस्त की महत्वपूर्ण रात को मुख्य सचिव ने पुलिस महानिदेशक ;जम्मू एवं कश्मीर दिलबाग सिंह को कई निवारक कदम उठाने के निर्देश दिए जिनमें प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी मोबाइल और लैंडलाइन सेवाएं बंद करने धारा 144 लागू करने तथा घाटी में कर्फ्यू के दौरान सुरक्षा बलों की गश्ती बढ़ाना शामिल है
मिशन कश्मीर की सफलता में भूपेंद्र यादव और अनिल बलूनी ने भी निभाया अहम रोल
इससे पहले दिल्ली में शाह ने अपने एक और प्रमुख टीम को काम पर लगाया जिसमें राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी और भूपेंद्र यादव शामिल थे इस दल को उच्च सदन के सदस्यों का समर्थन जुटाने का काम सौंपा गया जहां बीजेपी को बहुमत नहीं है इस टीम ने टीडीपी के राज्यसभा सदस्यों को तोड़ा और समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज शेखर सुरेंद्र नागर संजय सेठ और कांग्रेस सांसद सजय सिंह को राज्यसभा से इस्तीफा दिलवाने का प्रबंध किया इसके बाद बीजेपी को उच्च सदन में काफी बल मिला वहीं 12वें घंटे में टीम  ;बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश मिश्रा का समर्थन हासिल करने में कामयाबी हासिल की
पत्रकारों को भी शाह ने की थी ताकीद
इस दौरान अमित शाह  ने प्रमुख पत्रकारों ;जिनकी गृह मंत्रालय तक पहुंच थी के साथ भी बंद कमरों में बैठक की और इस उच्च संवेदनशील मुद्दों पर संतुलित रिपोर्टिग करने की ताकीद की शाह का मुख्य जोर शीर्ष स्तर की गुप्तता बरकरार रखने पर था जब तक कि वे इस विधेयक को राज्यसभा में 5 अगस्त को संसद के पटल पर पेश नहीं करते ! सूत्रों ने बताया कि 2 अगस्त को शाह को भरोसा था कि उनकी पार्टी को राज्यसभा में पर्याप्त समर्थन हासिल हो गया है और सोमवार को उच्च सदन में इस ऐतिहासिक विधेयक ;जम्मू एवं कश्मीर के टुकड़े करने को पेश किया गयाण् इस दौरान बीजेपी सांसदों को व्हिप जारी किया गया था कि वे संसद में उपस्थित रहेंए जहां महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए जाने हैं
राष्ट्रपति को लिया भरोसे में  
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि आखिरकार सप्ताहांत में मोदी और शाह ने सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने और मंत्रियों को मिशन कश्मीर की जानकारी देने का फैसला किया और सदन से पहले इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया इसी तरह कानून और न्याय मंत्रालय को अनुच्छेद 370 निरस्त करने की अधिसूचना राष्ट्रपति से जल्द जारी करवाने का काम सौंपा गया
राज्यसभा में शोर.शराबे के बीच सोमवार को अमित शाह  ने जब विधेयक पेश किया तो बीजेपी के एक सांसद ने प्रतिक्रिया दी शाह का मिशन कभी नाकामयाब नहीं होता वे नए सरदार ;वल्लभ भाई पटेल हैं
जून में शुरू हो गई थी मिशन कश्मीर की तैयारी
 मोदी सरकार ने जम्मू.कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद.370 के प्रावधान को खत्म कर दिया है। इस एतिहासिक फैसले से पहले देशभर में सस्पेंस बना हुआ था क्योंकि घाटी में अतिरिक्त सेना और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किए जाने के बाद मामला गरमा गया था। हालांकि सोमवार को राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने पूरी पिक्चर साफ कर दी।
जून के तीसरे हफ्ते से शुरू हो गई थी तैयारी
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन कश्मीर की शुरुआत जून के तीसरे हफ्ते में ही शुरू हो गई थी। जब उन्होंने 1987 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम को जम्मू कश्मीर का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया। सुब्रमण्यम ने पीएमओ में संयुक्त सचिव के रूप में प्रधानमंत्री के साथ पहले भी काम किया था। वह मोदी के मिशन कश्मीर के मुख्य अधिकारियों में से एक थे। मिशन कश्मीर का समूचा काम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दिया गया था जो कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ मिलकर अपनी कोर टीम के साथ कानून पहलुओं की समीक्षा कर रहे थे जिसमें कानून और न्याय सचिव आलोक श्रीवास्तव अतिरिक्त सचिव कानून ;गृह मंत्रालय आरएस वर्मा अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा और कश्मीर खंड की उनकी चुनी हुई टीम शामिल थी।
शाह ने संघ प्रमुख को दे दी थी जानकारी
शाह ने बजट सत्र की शुरुआत से पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ;आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत और उनके सहयोगी ;महासचिव भैयाजी जोशी को अनुच्छेद.370 को हटाने और जम्मू और कश्मीर को दो अलग.अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के विचार से अवगत करा दिया था।
डोभाल के साथ की कई बैठकें
कानूनी सलाह के बाद गृह मंत्री अमित शाह का ध्यान अनुच्छेद.370 हटाने के बाद घाटी में कानून और व्यवस्था की स्थिति संभालने पर था। शाह से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री की सलाह पर शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ;एनएसए अजित डोभाल के साथ कई दौर की बैठक की थी। सूत्रों ने बताया कि शाह ने जब एक बार कश्मीर की स्थिति की खुद समीक्षा कर लीए उसके बाद डोभाल को सुरक्षा की दृष्टि से स्थिति की समीक्षा करने के लिए श्रीनगर भेजा गया। एनएसए ने वहां तीन दिनों तक डेरा डाला। उसके बाद 26 जुलाई को अमरनाथ यात्रा रोकने का फैसला किया गया। घाटी से सभी पर्यटकों को निकालने की सलाह भी डोभाल ने ही दी थी। इसके बाद केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर की गई।
ग्राउंड जीरो पर मुख्य सचिव ने तैयार की रिपोर्ट
जम्मू.कश्मीर के मुख्य सचिव सुब्रमण्यम जो प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय के साथ संपर्क में थे उन्होंने ग्राउंड जीरो पर कई सुरक्षा कदम उठाने का खाका तैयार कियाए जिसमें पुलिस अर्धसैनिक बलों और प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों द्वारा सैटेलाइट फोन का प्रयोग करने संवेदनशील शहरी और ग्रामीण इलाकों में क्यूआरटी ;क्विक रेस्पांस टीम की तैनाती करने और सेना द्वारा नियंत्रण रेखा पर चौकसी बढ़ाने जैसे कदम शामिल थे। 4 अगस्त की महत्वपूर्ण रात को मुख्य सचिव ने पुलिस महानिदेशक ;जम्मू एवं कश्मीर दिलबाग सिंह को कई ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए जिनमें प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी मोबाइल और लैंडलाइन सेवाएं बंद करना धारा 144 लागू करने और घाटी में कफ्र्यू के दौरान सुरक्षा बलों की गश्त बढ़ाना शामिल था।
कौन है बीवीआर सुब्रमण्यम
बता दें कि बीवीआर सुब्रमण्यम 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं उन्हें नक्सलियों को धर दबोचने से लेकर नक्सली विचारधारा को खत्म करने का अच्छा.खासा अनुभव है। बी वीआर  सुब्रमण्यम लगभग तीन साल से छत्तीसगढ़ में गृह विभाग की जवाबदारी संभाल रहे थे। छत्तीसगढ़ के होम सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम से  देश के पूर्व गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने  आधी रात को टेलीफोन पर बात की और उन्हें फ़ौरन जम्मू.कश्मीर रवाना होने के निर्देश दिए गएण् कैबिनेट सेक्रेटरी ने रातों रात उनका डेपोटेशन ऑर्डर जारी कर दिया बीवीआर सुब्रमण्यम सुबह होते ही अपने मिशन कश्मीर पर निकल पड़े बीवीआर सुब्रमण्यम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पीएमओ में जॉइंट सेक्रेटरी रह चुके हैं 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद भी वे साल भर तक पीएमओ  में अपने इसी पद पर बने रहे हालांकि डेपोटेशन की अवधि पूरी होने के बाद वे वापिस अपने होम कैडर छत्तीसगढ़ में लौट गए बीवीआर सुब्रमण्यम बीते तीन सालों से छत्तीसगढ़ में गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे उन्हें हिंसक मामलों के सफाई का सरकारी इलाज कैसे किया जाता है इसका बखूबी अनुभव है
पीएमओ में रहे ज्वाइंट सेक्रेटरी
ऐसे में राज्य के विकास में प्रशासन की भूमिका बेहद अहम हो गई है। ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुब्रमण्यम पर भरोसा जताया है। सुब्रमण्यम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पीएमओ में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे है। वे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी एक साल तक पीएमओ में रहे।
छत्तीसगढ़ में गृह विभाग का देखा काम
मूल रूप से आंध्रप्रदेश के रहने वाले सुब्रमण्यम मैकेनिकल इंजीनियर हैं। प्रशासनिक हल्कों में उन्हें बीवीआर के नाम से जाना जाता है। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में गृह विभाग का काम देखते हुए उन्होंने स्थानीय पुलिसए अर्धसैन्य बलों और राज्य सरकार के विभागों के बीच समन्वय बनाकर नाम कमाया। उनके कार्यकाल में अति नक्सल प्रभावित इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का विकास हुआ। दशकों से बंद पड़ी सड़कों को दोबारा बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा है। चुपचाप काम करने में विश्वास रखने वाले सुब्रमण्यम मीडिया से दूर रहते हैं।
बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों का किया दौरा 
उनकी इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने उन्हें ऐसे राज्य की जिम्मेदारी सौंपी है जो आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर और पाकिस्तान समर्थित उग्रवाद से बुरी
  तरह पीड़ित है। गृह विभाग के प्रमुख सचिव और बाद में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में वे लगातार बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में जाकर खुद विकास कार्यों की निगरानी करते रहे।  उनके पुलिस अफसरों से बेहतरीन संबंध थे। वे विकास की योजनाएं बनाने और दूसरे विभागों से चर्चा कर उसे आनन.फानन में उसे लागू कराने के लिए जाने जाते हैं। छत्तीसगढ़ में गृह विभाग के अपने तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने फोर्स और सिविल प्रशासन में तालमेल बिठाया जिसका नतीजा यह रहा कि बस्तर में बड़ी नक्सली घटनाओं में कमी दर्ज की गई। उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मनमोहन के प्रधानमंत्री रहने के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉण्रमन सिंह ने उन्हें पत्र लिखकर कहा कि सुब्रमण्यम को छत्तीसगढ़ वापस भेज दें ताकि वे राज्य में सेवाएं दे सकें। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जवाब दिया कि उन्हें ऐसे अफसर की जरूरत है जो संवेदनशील विषयों पर काम कर सकता है और जो विश्वास बनाए रखता हो। वे मनमोहन सिंह के विश्वासपात्रो में से एक रहे।
बस्तर के विकास का बनाया प्लान

उन्होंने प्रधानमंत्री के सचिव के तौर पर यूपीए.1 सरकार में चार साल बिताए। फिर मार्च 2012 से मार्च 2015 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे। लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट की डिग्री लेने वाले सुब्रमण्यम इस बीच वाशिंगटन में विश्व बैंक के सलाहकार भी रहे। 57 साल के सुब्रमण्यम ने बस्तर विकास का प्लान बनाया। जम्मू कश्मीर में उन्हें सेना और अर्धसैन्य बलों में समन्वय बनाने की चुनौती मिली। वे इस काम के माहिर माने जाते हैं। सुब्रमण्यम फिलहाल छत्तीसगढ़ सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं और गृह जेल तथा परिवहन विभाग संभाल रहे हैं। उनका विभाग अब वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अमिताभ जैन देखेंगे। नक्सल इलाकों में विकास कार्यों में दूसरे विभागों से समन्वय के लिए उन्हें छत्तीसगढ़  और मिशन कश्मीर की सफलता के लिए पूरे देश में  याद किया जाएगा। 

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