दिल का दौरा पडने से पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन
एम्स मे ली अन्तिम सास
बेहतरीन वक्ता और कुशल राजनेता के रुप मे हमेशा याद की जायेगी सुषमा
संजय चाणक्य
नई दिल्ली। दिल का दौरा पड़ने से भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया है। अचानक दिल का दौरा पडने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था,जहा डाक्टरो की टीम ने उन्हे मृत घोषित कर दिया। चर्चा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी पहुचने वाले है जबकि गृहमंत्री अमित शाह, केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षबर्धन, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ,शिवराज सिंह चौहान के अलावा सुषमा स्वराज के पति व उनका पूरा परिवार एम्स मे मौजूद रहा। श्रीमती स्वराज के निधन की खबर सुन सियासी गलियारों मे शोक की लहर दौड गई गई है । हर कोई उनके निधन पर हैरान व हतप्रभ है।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मंगलवार रात तकरीबन 10 बजकर 15 मिनट पर दिल का दौरा पडने के कारण दिल्ली के एम्स अस्पताल ले आया गया जहा इमरजेंसी वार्ड मे डाक्टरो की टीम ने उनका इलाज शुरु किया ,काफी प्रयास के बावजूद डाक्टर उन्हें बचा नहीं सके।
बता दें कि सुषमा स्वराज लंबे अर्से से बीमार चल रही थीं और उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। बीमारी की वजह से ही उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव लडने से इन्कार कर दिया था। वर्ष 2014 में सुषमा स्वराज को विदेश मंत्रालय का प्रभार मिला था।बीजेपी के शासन के दौरान सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही। उन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।
सुषमा की प्रारम्भिक जीवन
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। उन्होंने अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से स्नातक की पढाई पुरा करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की। वह भाषण और वादकृविवाद में हमेशा से आगे रहीं। उन्होंने ऐसी कई प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी हासिल किए।
सर्वोच्च न्यायालय के वकील से विवाह
अंबाला छावनी में हरदेव शर्मा और लक्ष्मी देवी के घर जन्मीं सुषमा का विवाह 13 जुलाई 1975 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से हुआ। उनकी एक बेटी बांसुरी हैए जो लंदन के इनर टेंपल में वकालत कर रही हैं।
सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ा चुनाव
1999 में उनका राजनीति रूप एक बार फिर से बदला उन्होंने बेल्लारी संसदीय क्षेत्र से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गईं। इसके बाद साल 2000 में वो फिर से राज्यसभा में पहुंचीं और उन्हें दोबारा सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया।
नेता प्रतिपक्ष बनीं
वर्ष 2009 में वह प्रधानमंत्री पद की दावेदारी भी मानीं गईं और अप्रैल 2009 में सुषमा मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और वो राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता रहीं। 2014 का चुनाव जीतने के बाद सुषमा को मोदी सरकार.1 में विदेश मंत्री बनाया गया और कहा जाता है कि पीएम के साथ उनके रिश्ते निजी तौर पर ज्यादा अच्छे नहीं हैं।
सुषमा के नाम है कई कीर्तिमान
14 फरवरी 1952 को जन्मीं सुषमा स्वराज के नाम कई कीर्तिमान हैं, जिसे अब देश याद करेगा। 1977 में जब वह 25 साल की थीं, तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं। वह 1977 से 1979 तक सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे 8 मंत्रालय मिले थे, जिसके बाद 27 साल की उम्र में 1979 में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी थीं। सुषमा स्वराज देश की पहली महिला विदेश मंत्री के तौर पर जानी जाती हैं। साल 2008 और 2010 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार मिला था। वह इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र महिला सांसद हैं। साल 1977 में महज 25 साल की उम्र में वह कैबिनेट मंत्री बनी थीं। उस वक्त वह सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री थीं। 1979 में 27 साल की उम्र में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनीं। सुषमा स्वराज को राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त है। वह पहली महिला मुख्यमंत्री, पहली महिला केंद्रीय कैबिनेट मंत्री व विपक्ष की पहली महिला नेता भी हैं
विवादों से भी रहा नाता
सुषमा अकसर विवादों में भी रही हैं। सुषमा पर आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मदद करने का आरोप लगा था। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने ललित मोदी की पुर्तगाल जाने में मदद की। कहा जाता रहा है कि ललित मोदी से सुषमा के पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। हालांकि सुषमा यही कहती रही हैं कि ललित मोदी की पत्नी बीमार थीं और उन्हें डेनमार्क जाना था इसलिए मानवीय आधार पर उन्होंने ललित की मदद की। 2011 में सुषमा स्वराज पर कर्नाटक के बेल्लारी बंधुओं को मंत्री बनाने और भ्रष्टाचार में फंसे दोनों लोगों से नजदीकी का आरोप लगा था। 1999 में सुषमा स्वराज ने बेल्लारी लोकसभा सीट पर सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था तब से ही उनके और बेल्लारी बंधुओं के बीच नजदीकियों के चर्चे खूब जोरों पर थे।
भाजपा की प्रमुख महिला चेहरा थी सुषमा
सुषमा स्वराज भाजपा की एकमात्र नेता थी जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत दोनों क्षेत्र से चुनाव लड़ा है। वह भारतीय जनता पार्टी की सबसे प्रमुख महिला चेहरा थी तथा प्रखर वक्ता के रूप में भी जानी जाती थी। वे भारतीय संसद में अकेली महिला सांसद हैं जिन्हें असाधारण सांसद का पुरस्कार मिला है।
एक नजर सुषमा के राजनीतिक जीवन
सुषमा स्वराज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू कीए वह छात्र जीवन से ही प्रखर वक्ता रही1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की उम्र में राज्य का कैबिनेट मंत्री बनाया गया और 27 वर्ष की उम्र में वे राज्य में भाजपा जनता पार्टी की प्रमुख बन गईं। सुषमा स्वराज छह बार सांसद ए तीन बार विधायक और 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं। वह केन्द्रीय मंत्री और दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रहीं। उन्होंने आपातकाल के विरोध में सक्रिय प्रचार किया था। जुलाई 1977 में उन्हें चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सुषमा स्वराज अप्रैल 1990 में सांसद बनीं और 1990 से 1996 तक राज्यसभा में रहीं। 1996 में ही वह 11वीं लोकसभा के लिए चुन ली गई और अटलबिहारी वाजपेयी की तेरह दिनो की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनी। 12वीं लोकसभा के लिए वे फिर दक्षिण दिल्ली से चुनी गईं और उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।
अक्टूबर 1998 में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गरीब हासिल की। बाद में जब विधानसभा चुनावों में पार्टी हार गई तो वह फिर राष्ट्रीय राजनीति में वापस लौट आईं। वर्ष 1999 में उन्होंने आम चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी संसदीय क्षेत्र कर्नाटक से चुनाव लड़ा था लेकिन वे हार गईं। 2000 में वे फिर से राज्यसभा में पहुंचीं थीं और उन्हें फिर सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया और मई 2004 तक सरकार में रहीं। सुषमा अप्रैल 2009 में मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और वह राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता रहीं। बाद मे विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद लालकृष्ण आडवाणी के स्थान पर नेता प्रतिपक्ष बनी। वह भारतीय संसद में अकेली महिला सांसद हैं जिन्हें असाधारण सांसद का पुरस्कार मिला है। साथ ही वे भाजपा की एकमात्र नेता हैं जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारतए दोनों क्षेत्र से चुनाव लड़ा है। वह देश की विदेश मंत्री भी रह चुकी थी।वर्ष 2009 में वह प्रधानमंत्री पद की दावेदारी भी मानीं गईं और अप्रैल 2009 में सुषमा मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और वो राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता रहीं। 2014 का चुनाव जीतने के बाद सुषमा को मोदी सरकार-1 में विदेश मंत्री बनाया गया और कहा जाता है कि पीएम के साथ उनके रिश्ते निजी तौर पर ज्यादा अच्छे नहीं हैं।
1977 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर
सुषमा स्वराज चार साल तक जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्या रह चुकी हैं।
चार साल तक इन्होंने हरियाणा राज्य में जनता पार्टी की अध्यक्षा का पद संभाला है।
साल तक वह भारतीय जनता पार्टी की अखिल भारतीय सचिव रहीं हैं। 1977 में जब सुषमा स्वराज ने हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी तो ये पहली बार विधान सभा के लिए चुनी गईं थीं। वे भारत में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं और इन्होंने 1977 से 1979 तक जिनमें सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे आठ पद संभाले। 1987 में सुषमा स्वराज को हरियाणा विधान सभा से फिर से चुना गया था। इस बार वे 1987 से 1990 तक सिविल आपूर्ति खाद्य और शिक्षा के पद संभालते हुए कैबिनेट मंत्री रहीं।
अप्रैल 1990 मेंए सुषमा स्वराज को राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था। 1996 में सुषमा स्वराज 11वीं लोकसभा के दूसरे कार्यकाल की सदस्य बनीं। 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह दिन की सरकार के दौरान इन्होंने सूचना और प्रसारण की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में लोकसभा वार्ता के लाइव प्रसारण का एक क्रांतिकारी कदम उठाया था। 1998 में इन्हें तीसरी बार 12वीं लोकसभा की सदस्या के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था। 13 अक्टूबर से 3 दिसंबर 1998 तक इन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित किया गया। नवंबर 1998 में इन्हें दिल्ली विधानसभा के हौज खास विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया लेकिन इन्होंने लोकसभा सीट को बरकरार रखने के लिए विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। अप्रैल 2000 में सुषमा स्वराज को पुनः राज्यसभा की सदस्या के रूप में निर्वाचित किया गया था। 30 सितंबर 2000 से 29 जनवरी 2003 तक इन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री के पद पर सेवा की।
19 मार्च से 12 अक्टूबर 1998 तक वे सूचना एवं प्रसारण और दूरसंचार यअतिरिक्त प्रभार विभाग में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहीं। 29 जनवरी 2003 से 22 मई 2004 तकए वे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तथा संसदीय मामलों की मंत्री रहीं। अप्रैल 2006 में इन्हें पुनः पांचवे सत्र के लिए राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था। 16 मई 2009 को सुषमा स्वराज को छठी बार 15वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में चुना गया था। वह लोकसभा में 3 जून 2009 को विपक्ष की उप नेता बनी। 21 दिसंबर 2009 को सुषमा स्वराज विपक्ष की पहली महिला नेता बनी थीं और तब उन्होने लालकृष्ण आडवाणी के बाद यह पद ग्रहण किया था। 26 मई 2014 को सुषमा स्वराज भारत सरकार में विदेश मामलों की केंद्रीय मंत्री बनीं।
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