अलग-अलग राज्यों में चल रही निजी ट्रैवेल एजेंसियों ने ग्राहकों का पैसा लौटाने से हाथ खड़े कर दिया है। जहां एक ओर कई राज्यों से यात्रा पर गए श्रद्धालु मायूस होकर वापस लौट रहे हैं तो वहीं यात्रा पर बाईं होने वाले श्रद्धालु अपने पैसे फंस जाने के कारण मायूस है। देश के कोने-कोने से बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले सैकड़ों यात्री अब सरकार के फैसले के आगे मजबूर हैं।
मूल मे देश में हजारों की तादाद में पर्यटकों ने इस यात्रा को देखते हुए फ्लाइट टिकट से लेकर, हेलिकॉप्टर बुकिंग, होटल बुकिंग और टैक्सी की बुकिंग पहले ही एडवांस में करवा ली थी। लेकिन अब निजी ट्रैवेल एजेंसियों के पास उनके पैसे वापस करने की बात का कोई जवाब नहीं है।
ट्रैवेल एजेंसियां नियम और पडो का हवाला देकर पल्ला झाड़ रही है। ट्रैवेल एजेंसियों के दफ्तरों पर अपना रिफंड लेने पंहुच रहे सभी यात्रियों को निराशा ही हाथ लगी है। हाल तो यह है कि रिफंड को लेकर ज्यादा बहस हो रही पर ट्रैवेल एजेंसियां ग्राहकों को कोर्ट के माध्यम से पैसे निकलवाने की सलाह दे रही हैं। '
राजस्थान के रामअवतार शर्मा और सुबोध माथुर का परिवार अपने पैसे के लिए अब परेशान भटक रहा है। उनका कहना है कि वे इस यात्रा के लिए 75000 से एक लाख तक का एडवांस जमा करवा चुके हैं, लेकिन ट्रैवेल एजेंसी उनका पैसा वापस करने में दिलचस्पी नहीं ले रही है। हालांकि उन्हें इस बात की खुशी भी है कि निजी विमान कंपनियों ने उनका पैसा रिफंड करने की बात कही है। बावजूद इसके इनका आरोप है कि ट्रैवेल एजेंसी सहयोग करने को राजी नहीं है।
पैकेज देने वाली यह कंपनियों होटल और टैक्सी की एवज में हजारों रुपये ग्राहकों से एडवांस ले चुकी है, लेकिन अब सरकार द्वारा यात्रा रद्द किए जाने के बाद यह ग्राहकों का पैसा देने के नियमों और पॉनो का हवाला देकर में आकरणी कर रही है।
वहाँ इस मामले में ट्रैवेल एजेंसियों का पैसा न लौटाने के पीछे अपना अलग तर्क है, उनका कहना है कि ग्राहकों से लिया हुआ पैसा अब उनके पास नहीं है, बल्कि एडवांस बुकिंग के लिए जा चुका है। एजेंसियों के पर्यटकों को यह तर्क दे रहा है कि कश्मीर को लेकर रिफंड की पालिसी के तहत ही वह काम कर रहे हैं। ज्यादा जोर देने पर पैकेज वाली यह कंपनियां 10 प्रतिशत तक ही पैसे लौटाने पर राजी हो रही है। ऐसे में सैकड़ों की तादाद में फंसे इन यात्रियों की सुनवाई कैसे हो इसका वर्तमान में किसी के पास जवाब नहीं है।
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